Tuesday, March 19, 2024
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नरोदा पाटिया केस में माया कोडनानी बरी, बाबू बजरंगी की सजा बरकरार

साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस जलाये जाने के दूसरे दिन नरोदा पाटिया में हुई हिंसा मामले में आज अहमदाबाद हाईकोर्ट ने माया कोडनानी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने माया कोडनानी को मामले में बरी कर दिया है। माया कोडनानी को कोर्ट ने 28 साल की सजा सुनाई थी। वहीं बाबू बजरंगी की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 20, 2018 11:37 IST
Gujarat High Court pronounce verdict in Naroda Patiya massacre case- India TV Hindi
गुजरात दंगा: नरोदा पाटिया जनसंहार मामले में अहमदाबाद हाईकोर्ट आज सुना सकता है फैसला

नई दिल्ली: साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस जलाये जाने के दूसरे दिन नरोदा पाटिया में हुई हिंसा मामले में आज अहमदाबाद हाईकोर्ट ने माया कोडनानी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने माया कोडनानी को मामले में बरी कर दिया है। माया कोडनानी को कोर्ट ने 28 साल की सजा सुनाई थी। वहीं बाबू बजरंगी की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा है। यानी बाबू बजरंगी पूरी उम्र जेल में रहेगा। इस मामले में 29 अगस्त 2009 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विशेष अदालत ने फौरन फैसला सुनाने की कार्रवाई की थी जिसमें बीजेपी की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और वीएचपी के नेता बाबू बजरंगी को सख्त सज़ा सुनाई गई थी। साथ ही 53 लोगों को भी नरोदा पाटिया हिंसा मामले में दोषी करार देते हुए सज़ा सुनाई गई थी।

विशेष अदालत ने 29 लोगों को मामले से बरी भी कर दिया था। विशेष अदालत के इन्हीं फैसलों के खिलाफ राज्य सरकार, एसआईटी, पीड़ितों और दोषियों ने हाईकोर्ट में अपनी-अपनी याचिका दायर की थी। बता दें कि पिछले साल यानी 2017 में 30 अगस्त को हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज उम्मीद है कि हाईकोर्ट पूरे मामले पर अपना फाइनल फैसला सुनाएगा।

दो जजों की खंड पीठ ने पिछले साल तीस अगस्त को इस मामले में सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में तीन बार दो-दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई से इंकार करते हुए खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था। आखिरकार न्यायाधीश हर्षा देवानी और न्यायाधीश ए एस सुपेहिया की खंडपीठ ने पिछले साल तीस अगस्त को इस मामले में दायर तमाम अपील याचिकाओं पर सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया था जिस पर वो आज अपना फैसला सुना सकते हैं।

 
बता दें कि 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया में दंगा हुआ था। इस नरसंहार में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी और 33 लोग घायल हुए थे। ये घटना 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन जलाए जाने के एक दिन बाद हुई। विश्व हिन्दू परिषद ने 28 फरवरी 2002 को बंद का आह्वान किया था। इसी दौरान नरोदा पटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था। नरोदा पाटिया कांड का मुकदमा अगस्त 2009 में शुरू हुआ और कुल 68 लोगों को आरोपी बनाया गया लेकिन केस शुरू होने से पहले ही 6 लोगों की मौत हो गई।

62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए थे। सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई। अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए (इनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे)। 29 अगस्त दो हज़ार बारह को न्यायधीश ज्योत्सना याग्निक की अध्यक्षता वाली बेंच ने बीजेपी विधायक और नरेन्द्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को हत्या और षड़यंत्र रचने का दोषी पाया।

विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री डॉक्टर माया कोडनानी को 28 वर्ष की सज़ा, विश्व हिंदू परिषद के नेता बाबू बजरंगी को ताउम्र कैद, आठ दोषियों को 31 साल की जेल और 22 अन्य लोगों को 14 साल की सजा सुनाई थी। वहीं इसी मामले में 29 अन्य को बरी कर दिया गया था। माया कोडनानी को गुजरात हाईकोर्ट ने दो हज़ार चौदह में खराब सेहत के आधार पर ज़मानत दी थी।

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