नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज दिल्ली महिला आयोग को निर्देश दिया कि वह अपनी हेल्पलाइनों एवं पुनर्वास प्रकोष्ठों में काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले महीने का वेतन दे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा कि आयोग के कई प्रकोष्ठ काम कर रहे हैं और कर्मचारियों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे बगैर वेतन के काम करें, क्योंकि वे गुजारे के लिए वेतन पर निर्भर हैं।
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न्यायालय ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता (आयोग के कर्मचारी) आयोग के विभिन्न प्रकोष्ठों में काम कर रहे हैं और अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें वेतन नहीं देना याचिकाकर्ताओं और आयोग के प्रकोष्ठों के कामकाज के प्रति गंभीर पूर्वाग्रह होगा।
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि कर्मचारियों के जनवरी का वेतन जारी किया जाए। आयोग के 97 कर्मचारियों के आवेदन पर न्यायालय ने यह आदेश दिया। कर्मचारियों ने दावा किया था कि उन्हें जनवरी का वेतन नहीं दिया गया है।
उनकी ओर से दायर मुख्य याचिका में यह आवेदन दाखिल किया गया। मुख्य याचिका में आरोप लगाया गया था कि उन्हें पिछले साल सितंबर से वेतन नहीं दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।