Saturday, April 20, 2024
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पद से हटाए जाने की खबर इस्लामिक कट्टरपंथियों की साजिश: दरगाह दीवान

अजमेर की सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन की दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने स्वयं को दरगाह दीवान पद से हटाए जाने की खबर का खंडन करते हुए कहा कि यह केवल इस्लामिक कट्टरपंथियों की साजिश है। दीवान आबेदीन ने आज अजमेर में संवाददाताओं से बातचीत

Bhasha Bhasha
Updated on: April 05, 2017 22:22 IST
ajmer dargah- India TV Hindi
ajmer dargah

जयपुर: अजमेर की सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन की दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने स्वयं को दरगाह दीवान पद से हटाए जाने की खबर का खंडन करते हुए कहा कि यह केवल इस्लामिक कट्टरपंथियों की साजिश है। दीवान आबेदीन ने आज अजमेर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, मैं आज भी सज्जादानशीन हूं और मृत्यु तक रहेंगे। मैंने अपने बड़े पुत्र सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती को अपना उत्तराधिकारी और दरगाह दीवान घोषित किया।

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उन्होंने कहा कि वह हमेशा इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं और देशहित में दिये गए बयानों से हमेशा कट्टरपंथियों के तकलीफ रहती है और वही ताकतें अकसर इस तरह के भ्रामक प्रचार से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुचाने की कुचेष्ठा करते रहते हैं।

उन्होंने साफ तौर पर कहा कि दरगाह दीवान का पद एक धार्मिक पद होते हुए वंशानुगत है जिसके तहत दीवान को हटाने का अधिकार किसी को नहीं है। इसलिए उन्हें दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख पद से हटा देने का बयान इस्लामिक कट्टरपंथियों की साजिश मात्र है।

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उन्होंने गौवंश के वध और इनके मांस की बिक्री पर रोक लगाने को लेकर दिये बयान पर कायम रहते हुए कहा कि कट्टरपंथी विचारधारा के लोग धर्म के नाम पर समाज में किसी प्रकार का भ्रम पैदा करने की कोशिश करेंगे तो वह हमेशा उन्हें इसी तरह जवाब देते रहेंगे।

दरगाह दीवान ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश से ख्वाजा साहब के वंशानुगत सज्जादानशीन के पद पर पदासीन हैं और मृत्यु तक रहेंगे। फिर भी किसी प्रकार के भ्रम ना रहे इसलिए वह अपने ज्येष्ठ पुत्र सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती को अपना उत्तराधिकारी होने की घोषणा करते है जो वर्तमान में उनकी गैर मोजूदगी में दरगाह की समस्त धार्मिक रस्मे अंजाम देते है।

उन्होंने उनके छोटे भाई एस.ए. अलीमी द्वारा उनको दरगाह दीवान के पद से हटा देने की खबर को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि दरगाह दीवान को उनके पद से उनके भाई किसी को भी नियुक्त करने या हटा देने का कोई विधिक अधिकार नहीं है। इसलिये उनके द्वारा दरगाह दीवान को हटाने के बयान की कोई वैधानिकता नहीं है और किसी को भ्रमित नहीं होना चाहिये।

गौरतलब है कि दरगाह दीवान के छोटे भाई एस ए अलीमी ने आबेदीन की ओर से गौमांस और तीन तलाक को लेकर दिए गये बयान के बाद उसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए कल आबेदीन को दरगाह दीवान पद से हटाकर स्वयं को दरगाह दीवान के पद पर काबिज होने का दावा किया था।

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