नई दिल्ली: इस साल पूर्वी हिमालय से बारिश के मौसम में छींकने वाला बंदर और जमीन में चलने वाली मछली समेत 200 से ज्यादा प्रजातियां मिली हैं। वाइल्डलाइफ की एक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि नेपाल, भूटान, मयांमार , तिब्बत और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों से पिछले पांच सालों में 133 पौधे, 26 मछलियों की प्रजातियां, उभयचर की 10 नई प्रजातियां, आदि खोजे गए हैं। इस खोज में एक नए तरह का पक्षी, नीली आंखों वाला मेंढक, और लाल, और संतरी पैटर्न का सांप भी पाया गया है। WWF की रिपोर्ट के अनुसार हिमालय पर लोगों के बसने की वजह से ये प्रजातियां लुप्त होती जा रही है। और इन प्रजातियों को बचाना बहुत ही मुश्किल चुनौती है।
इस खोज में बंदर की एक ऐसी प्रजाति पाई गई है जिसके नाक में पानी जाने से उसे छींक आती है। यह बंदर म्यामार के जंगलों में पाए जाते हैं। एक रिपार्ट ने बताया कि बारिश से बचने के लिए यह बंदर अपने सिर को घुटनों के बीच दबाकर बैठते हैं। हिमालय पर लगातार प्रदूषण के बढ़ने, पेड़ों को काटने से इस क्षेत्र में रहने वाली सभी प्रजातियों के लिए संकट उत्पन्न हो रहा है। इस खोज में मछलियों की 26 प्रजातियां पाई गईं जिसमें जमीन पर चलने वाली मछलियां अनोखी है। यह मछलियां 4 फुट लंबी हैं।
WWF के चीफ एडवाइजर का कहना है कि इन प्रजातियों को देखने से लगता है कि अभी भी बहुत सी प्रजातियां ऐसी है जो हमारे साथ इसी धरती पर रहती हैं और जिनके बारे में अभी और भी बहुत कुछ जानना जरूरी है। उनका कहना है कि अगर हम इन प्रजातियों को नहीं बचाएंगे तो एक समय ऐसा आएगा जब ये प्रजातियां बिल्कुल ही विलुप्त हो जाएंगी। WWF के डेचल डोर्बी का कहना है कि एक ही जगह से 211 तरह की प्रजातियों का मिलना अपने-आप में प्रकृति का तोहफा है और हमारी जिम्मेदारी इन प्रजातियों को बचाने की है।