-
पत्थर के जिगर वालों गम में वो रवानी है।
खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है।।
-
इसी चमन में ही हमारा भी इक जमाना था।
यहीं कहीं कोई सादा सा आशियाना था।।
-
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते।
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोड़ा करते।।
-
दम लबों पर था दिलेजार के घबराने से।
आ गई है जां में जां आपके आ जाने से।।
-
कई घरों को निगलने के बाद आती है।
मदद भी शहर के जलने के बाद आती है।।
-
रात आधी से ज्यादा गई थी, सारा आलम सोता था।
नाम तेरा ले ले कर कोई दर्द का मारा रोता था।।
-
किसी को क्या पता था इस अदा पर मर मिटेंगे हम।
किसी का हाथ उठ्ठा और अलकों तक चला आया।।
-
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना।
मुझे गुमां भी ना हो और तुम बदल जाना।।
-
तेरी खुशी से अगर गम में भी खुशी न हुई।
वो जिंदगी तो मुहब्बत की जिंदगी न हुई।।
-
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई।
जैसे एहसान उतारता है कोई।।
-
समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का।
अकबर ये गजल मेरी है अफसाना किसी का।।
-
आंखों में जल रहा है क्यूं बुझता नहीं धुआं।
उठता तो है घटा-सा बरसता नहीं धुआं।।