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Movie Review Sonu Ke Titu Ki Sweety: ब्रोमांस और रोमांस की तगड़ी टक्कर

लड़की वाले एंगल को लेकर लव रंजन कन्फ्यूज्ड और एकतरफा लगे हैं, उन्हें सीधे लड़की को विलन और ‘चालू’ बता दिया। लेकिन वो क्यों बुरी है, क्या चाहती है ये सब उन्होंने नहीं दिखाया।

Jyoti Jaiswal Jyoti Jaiswal
Updated on: February 23, 2018 16:26 IST
Movie Review: सोनू के टीटू की स्वीटी
Movie Review: सोनू के टीटू की स्वीटी
  • फिल्म रिव्यू: सोनू के टीटू की स्वीटी
  • स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
  • पर्दे पर: 23 फरवरी, 2017
  • डायरेक्टर: लव रंजन
  • शैली: रोमांटिक-कॉमेडी

‘दोस्ती और लड़की में हमेशा लड़की जीतती है’ लव रंजन की फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ इसी पंचलाइन पर बनी है। इस फिल्म में रोमांस और ब्रोमांस के बीच कड़ी टक्कर है।

टीटू (सनी सिंह) को बार-बार लड़कियों के चक्कर में पड़ता है और रोता रहता है, उसे चुपाता(यानी चुप कराता) है उसका दोस्त सोनू (कार्तिक आर्यन)। 13 साल की उम्र में सोनू की मां का निधन हो जाता है, तब से सोनू टीटू के घर पर ही परिवार की सदस्य की तरह रहता है। इस परिवार में दादा घसीटे (आलोक नाथ), दादी, मम्मी, पापा और मामा (वीरेंद्र सक्सेना) हैं।

प्यार और ब्रेकअप से परेशान टीटू शादी करने का फैसला कर लेता है। इस फैसले से सभी खुश हैं सिवाय सोनू के। अरेंज मैरिज के तहत टीटू के लिए स्वीटी (नुसरत भरूचा) का रिश्ता आता है। टीटू और पूरे परिवार को स्वीटी बिल्कुल परफेक्ट लगती है लेकिन सोनू को लगता है कुछ गड़बड़ है, कोई लड़की इतनी परफेक्ट और अच्छी कैसे हो सकती है। बाद में स्वीटी भी उसे बता देती है कि वो नायक नहीं खलनायक है। इसी के साथ शुरू होती है ब्रोमांस और रोमांस की टक्कर। अब इस जंग में लड़की जीतती है या दोस्त ये तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।

Movie Review: सोनू के टीटू की स्वीटी

Movie Review: सोनू के टीटू की स्वीटी

यह फिल्म महानगर दिल्ली की है, लेकिन फिल्म में देसी फ्लेवर भरपूर मात्रा में है। फिल्म के कलाकार आज के युवा जैसे ही हैं, इसलिए यूथ इस फिल्म से खुद को कनेक्ट कर पाएंगे। पूरी फिल्म में मसाला और एंटरटेनमेंट भरा हुआ है। फिल्म में आपको असंस्कारी बाबूजी (आलोकनाथ) गालियां देते और दारू पीते नजर आएंगे।

पिछली फिल्मों की तरह लव रंजन की यह फिल्म में कॉमेडी से भरी है। कुछ सीन देखकर आपको लगेगा आप ‘प्यार का पंचनामा’ का ही अगला भाग देख रहे हैं। जब आप फिल्म देखेंगे तो खूब एन्जॉय करेंगे, लेकिन जब आप कहानी के बारे में सोचेंगे तो आपको लगेगा लव रंजन आखिर दिखाना क्या चाहते थे। लड़की वाले एंगल को लेकर लव रंजन कन्फ्यूज्ड और एकतरफा लगे हैं, उन्होंने सीधे लड़की को विलन और ‘चालू’ बता दिया। लेकिन वो क्यों बुरी है, क्या चाहती है ये सब उन्होंने नहीं दिखाया।

फिल्म के कुछ सीन ऐसे हैं जो रियल लाइफ से मैच नहीं करते हैं। जैसे टीटू के दादाजी से जिस तरह सोनू सेक्स और लड़की की बातें करता है वो खटकता है। इसके अलावा जब टीटू और स्वीटी के बीच संबंध बन जाता है उसके अगले दिन जिस तरह स्वीटी सोनू के सामने टीटू से इस बारे में बात करती है वो भी हकीकत से परे लगता है।

Movie Review: सोनू के टीटू की स्वीटी

Movie Review: सोनू के टीटू की स्वीटी

एक्टिंग की बात करें तो तीनों ही एक्टर कार्तिक, सनी और नुसरत ने अपने-अपने किरदार में जान डाल दी है। फिल्म के बाकी किरदार भी अपने-अपने रोल में फिट लगे हैं।

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है, ​फिल्म के गाने पहले ही हिट हो चुके हैं। इसके अलावा सोनू और स्वीटी के बीच जो सीन है वहां इस्तेमाल बैकग्राउंड म्यूजिक काफी फनी हैं। इसके अलावा सोनू और स्वीटी के भेजे नौकर के बीच एक मजेदार सीक्वेंस है जिसे देखकर आपकी हंसी नहीं रुकेगी।

कमियों के बावजूद ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ आपको अच्छी लगेगी। यार-दोस्तों के साथ आप यह फिल्म एन्जॉय कर सकते हैं। मेरी तरफ से इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार।

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