Friday, March 29, 2024
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सोचिए मत! देख आइए अजय देवगन की फिल्म ‘रेड’

यह फिल्म एक सच्चे ईमानदार इनकम टैक्स अफसर पर बेस्ड है जिसने साल 1981 में लखनऊ में एक हाईप्रोफाइल घर में छापा मारा था।

Jyoti Jaiswal Jyoti Jaiswal
Updated on: March 16, 2018 16:04 IST
Raid Movie Review
Raid Movie Review
  • फिल्म रिव्यू: रेड
  • स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
  • पर्दे पर: 16 मार्च, 2018
  • डायरेक्टर: राजकुमार गुप्ता
  • शैली: पीरियड-क्राइम-थ्रिलर

अजय देवगन कई फिल्मों में पुलिसवाले का रोल प्ले कर चुके हैं, वर्दी में वो देश को गद्दारों से बचाते नजर आ चुके हैं। लेकिन इस बार अजय देवगन बिना यूनिफॉर्म के देश के दुश्मन से लड़ते हैं। राजकुमार गुप्ता की इस फिल्म को इनकम टैक्स पर बनी दुनिया की पहली फिल्म बताया जा रहा है।

कहानी- यह फिल्म एक सच्चे ईमानदार इनकम टैक्स अफसर पर बेस्ड है जिसने साल 1981 में लखनऊ में एक हाईप्रोफाइल घर में छापा मारा था। निडर इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के ऑफिसर अमय पटनायक (अजय देवगन) को खबर मिलती है कि सांसद रामेश्वर सिंह (सौरभ शुक्ला) ने अपने घर में 420 करोड़ रुपये का कालाधन दबाकर रखा है। वो अपनी पूरी टीम के साथ सांसद के घर में छापा मारता है। रामेश्वर अपने इलाके में राजा जी नाम से मशहूर है। वो सिर्फ यूं ही राजा जी नहीं है, वहां की पब्लिक उसके साथ है। उसके एक इशारे पर पूरा गांव उसके लिए इकट्ठा हो जाता है। फिल्म में राजा जी तो देश के साथ गद्दारी कर ही रहा होता है, लेकिन उसकी लंका में एक विभीषण भी होता है जो उसकी खबर अमय पटनायक तक पहुंचाता है। सिर्फ इतना ही नहीं रामेश्वर के घर के अलग-अलग सदस्य उससे छिपाकर कालाधन घर में रखते हैं।  ऐसे में अमय पटनायक किस तरह रेड पूरी करेगा। क्या वो राजा जी के घर से काला धन ढूंढ़ने में कामयाब होगा.. इन सवालों के जवाब के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। 

अभिनय- अजय देवगन की खासियत है कि वो अपने किरदार में पूरी तरह घुस जाते हैं और इस तरह के रोल में उन्हें महारत हासिल है। वहीं सौरभ शुक्ला ने राजा जी के किरदार में बेहतरीन अभिनय किया है। उनके अलावा हम इस रोल में किसी और को सोच भी नहीं सकते हैं। इलियाना फिल्म में अमय पटनायक की पत्नी के किरदार में हैं, अपना किरदार उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाया है, वो फिल्म में जितनी खूबसूरत लगी हैं, उतना ही बेहतरीन अभिनय भी किया है।

निर्देशन- राजकुमार गुप्ता ने इससे पहले 'आमिर' और 'नो वन किल्ड जेसिका' जैसी शानदार फिल्में बनाई हैं। यह फिल्म 1981 के दौर की है, निर्देशक उस दौर को क्रिएट करने में सफल रहे हैं। फिल्म लगातार आपको बांधे रखती है। फिल्म की एडिटिंग कसी हुई है। फिल्म का सेकंड हाफ काफी रोमांचक है। फिल्म महज 2 घंटे की है, जिसमें सस्पेंस भी है और ड्रामा भी है। फिल्म के डायलॉग काफी मजेदार हैं, संवाद में पंच है, जिसे सुनकर आप ताली बजाने पर मजबूर हो जाएंगे।

देखें या नहीं? अगर आप रोमांचक फिल्में पसंद करते हैं तो यह फिल्म जरूर देखिए आपको मजा आएगा। इस फिल्म को मेरी तरफ से 3.5 स्टार।

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