पणजी: बॉलीवुड ने आज दुनियाभर में अपनी खास एक अलग ही पहचान बना ली है। फिल्मकार किम जी.वून द्वारा निर्देशित दक्षिण कोरियाई एक्शन थ्रिलर फिल्म 'द एज ऑफ शैडोज' को इफ्फी 2016 के अंतर्गत सोमवार को अंतिम फिल्म के तौर पर दिखाया गया। वहीं उन्होंने भारतीय सिनेमा के प्रति अपनी रुचि भी व्यक्त की। वर्ष 1920 के दशक में जापानी शासन के दौरान सिओल और शंघाई की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म शंघाई और सिओल समूहों के बीच का इतिहास दर्शाती है।
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किम ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी फिल्म का उद्देश्य पर्दे पर एक्शन और हिंसा दिखाना भर नहीं है, बल्कि इससे कही अधिक जापानी शासन के खिलाफ कोरिया के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी लोगों की तीव्र भावनाओं को दर्शाना है।
उन्होंने कहा कि विशेष श्रव्य प्रभावों और कलाकारों की योग्यता के माध्यम से उन्होंने इन भावनाओं को बेहतर तरीके से पर्दे पर उतारने का प्रयास किया है। भारत और कोरिया के बीच फिल्मों के सह-निर्माण के बारे में निर्देशक ने कहा कि दोनों देशों के सिनेमा के तत्वों को एक-दूसरे के सिनेमा में शामिल करना निश्चित रूप से अत्यंत प्रभावशाली, कारगर और उपयोगी होगा।
उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि वह हास्य-व्यंग्य और जीवन की अन्य सच्चाई वाले भारतीय फिल्म के तत्वों को अपनी फिल्मों में शामिल करना चाहते हैं। किम ने कहा, "वह भारतीय फिल्म जगत के दिग्गज 'सत्यजीत रे' और उनकी फिल्में 'पाथेर' 'पंचाली', 'अपराजिता' आदि से बहुत अधिक प्रभावित एवं प्रेरित हैं और उनके फिल्म निर्माण की कला पर इन दिग्गजों का प्रभाव भी पड़ा है।
उन्होंने कहा कि वह भारतीय फिल्म उद्योग के साथ इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलनों जैसे विभिन्न विषयों पर दोनों देशों में फिल्में बनाने के लिए सहयोग करना चाहते हैं। 'द एज ऑफ शैडोज' को 89वें एकेडमी अवार्ड के लिए सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म के तौर पर दक्षिण कोरिया की प्रविष्टि के रूप में चुना जा चुका ह