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जीएसटी के दायरे में आ सकता है रियल एस्‍टेट सेक्‍टर, 18 जनवरी को फैसला संभव

रियल एस्‍टेट सेक्‍टर भी अब जल्‍द ही वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकता है।

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नई दिल्ली। रियल एस्‍टेट सेक्‍टर भी अब जल्‍द ही वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकता है। जीएसटी काउंसिल की 18 जनवरी को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। इससे पहले 10 नवंबर को हुई काउंसिल की 23वीं बैठक में भी इस संबंध में पावर पॉइंट प्रजेंटेशन रखी गई थी। लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो सकी थी। अब 18 जनवरी को राजय इस पर चर्चा करेंगे। फिलहाल केंद्र ने राज्यों को जो विकल्प सुझाया है उसके तहत रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद भी स्टाम्प ड्यूटी और प्रॉपर्टी टैक्स को बरकरार रखा जा सकता है।

जीएसटी मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटी लागू होने के बाद रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में कथित काले धन पर लगाम लगा पाना संभव होगा। साथ ही इससे केंद्र और राज्य सरकारों को अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी। इसके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा से बंदरगाह, हवाई अड्डे और होटल जैसे व्यवसायों को भी लाभ मिलेगा।

मौजूदा परिदृश्‍य की बात करें तो रियल एस्टेट सेक्‍टर पर जो टैक्स व शुल्क लगते हैं। उसमें स्टांप ड्यूटी, प्रॉपर्टी टैक्स रजिस्ट्रेशन फीस और भवन निर्माण पर सैस शामिल हैं। रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद प्रॉपर्टी टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी को बरकरार रखा जा सकता है, जबकि बिल्डिंग सैस को जीएसटी में ही समाहित किया जा सकता है। फिलहाल जमीन की बिक्री पर राज्य सरकारें स्टांप शुल्क लगाती हैं। स्टांप शुल्क की दर भी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। कुछ राज्यों में तो यह आठ फीसद तक है। 

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