वाशिंगटन: पेंटागन के एक पूर्व उच्च अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका को पाकिस्तान की चतुराई से बचना चाहिए और उसके प्रभाव में आना बंद कर देना चाहिए। इसके साथ ही उसे दी जाने वाली सभी तरह की सैन्य और वित्तीय सहायता रोक देनी चाहिए। वर्ष 2009-2014 तक पेंटागन के वरिष्ठ सलाहकार रहे क्रिस्टोफर डी कोलेंडा ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान की छलपूर्ण नीति पर प्रकाश डालते हुये लिखे एक लेख में कहा, पहले कदम के रूप में, ट्रंप प्रशासन को पाकिस्तान को दिया गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा निलंबित कर देना चाहिए और उसे सैन्य और वित्तीय सहायता देना बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने द हिल में प्रकाशित इस लेख में कहा, हमें पाकिस्तान के प्रभाव में आना बंद कर देना चाहिए। अब समय आ गया है जब अमेरिका को पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में गरिमा लानी चाहिए । उन्होंनेकहा, जरूररत पड़ने पर अमेरिका को अधिक दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, इस तरह की कार्रवाई पाकिस्तान को अफगान तालिबान के खिलाफ रवैया अपनाने के लिए बाध्य नहीं करेगी। कोलेंडा वर्तमान में सीएनएएस में सहायक वरिष्ठ फेलो और सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी में एक वरिष्ठ फेलो हैं।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि 1990 के दशक में अमेरिकी नेतृत्व वाली मजबूत प्रतिबंध व्यवस्था के अंतर्गत रहते हुए भी पाकिस्तान कश्मीर और अफगानिस्तान में विद्रोही गतिविधियों का समर्थन कर रहा था और वह अभी भी अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। कोलेंडो ने कहा कि अमेरिका को इस तथ्य को समझना चाहिए कि वह भारत, पाकिस्तान, ईरान और अन्य देशों के अफगानिस्तान में प्रतिस्पर्धी हितों को समायोजित नहीं कर सकता और बजाय इसके अमेरिका को अफगानिस्तान में हस्तक्षेप नहीं करने की प्रतिबद्धता के लिए क्षेत्रीय तटस्थता की अफगान घोषणा पर वापस आना चाहिए।
उन्होंने कहा, इन समझौतों की निगरानी करने और इन्हें लागू करने के लिए संभवत: संयुक्त राष्ट्र के तहत एक क्षेत्रीय मंच की जरूरत होगी। इस तरह से कोई भी क्षेत्रीय शक्ति अफगानिस्तान को नियंत्रित नहीं कर सकेगी और अफगान अधिकारी क्षेत्रिय शक्तियों का एक दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल कम कर पाएंगे। पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने सुझाया कि एक बार अफगानिस्तान में स्थायी शांति कायम हो जाने के बाद अमेरिका को पाकिस्तान के लिए पीस डिविडेंड देने पर विचार करना चाहिए। कोलेंडो ने कहा, इस पीस डिविडेंडमें सहायता की बहाली और नागरिक-परमाणु समझौते पर विचार शामिल हो सकता है।