Friday, April 26, 2024
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सऊदी समिट: नवाज़ रास्ते भर रट्टा मारते रहे लेकिन बोलने का नहीं मिला मौक़ा, पाक मीडिया में उड़ा मज़ाक

अरब इस्लामिक-अमेरिकन समिट के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ जब रियाद रवाना हुए तो रास्ते भर अपना भाषण का रट्टा लगाते रहे लेकिन जब मौक़ा आया तो उनकी बारी ही नहीं आई।

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: May 23, 2017 17:50 IST
nawaz Sharif- India TV Hindi
nawaz Sharif

अरब इस्लामिक-अमेरिकन समिट के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ जब रियाद रवाना हुए तो रास्ते भर अपना भाषण का रट्टा लगाते रहे लेकिन जब मौक़ा आया तो उनकी बारी ही नहीं आई। आपको बता दें कि रविवार को संपन्न हुई इस समिट का विषय आतंकवाद था और इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी हिस्सा ले रहे थे। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की ये पहली विदेश यात्रा थी। समिट में पाकिस्तान समेत दुनिया के तमाम इस्लामिक मुल्क शामिल हुए थे। 

ट्रंप ने आतंकवाद के शिकार देशों में भारत का नाम भी लिया लेकिन पाकिस्तान का ज़िक्र भी नहीं किया। दूसरी ओर, समिट में भी छोटे-छोटे देशों को बोलने का मौका दिया गया, लेकिन नवाज शरीफ को नहीं। नवाज़ पर इस तरह के तंज पाक मीडिया और वहां के अपोजिशन लीडर्स कर रहे हैं। 

पाकिस्तान ने सऊदी अरब से आग्रह किया था कि वह ट्रम्प और शरीफ के बीच द्विपक्षीय बातचीत की व्यवस्था करे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तानी अखबार ‘द नेशन’ के मुताबिक, नवाज़ शुक्रवार को जब रियाद रवाना हुए तो फ्लाइट में समिट में दी जाने वाली स्पीच की रिहर्सल करते रहे। लेकिन हद तो तब हो गई जब कई छोटे इस्लामिक मुल्कों के हेड ऑफ द स्टेट को तो बोलने का मौका दिया गया, लेकिन शरीफ को नहीं। 

पूर्व पाक आर्मी चीफ राहिल शरीफ अब इस्लामिक मिलिट्री गठबंधन के चीफ हैं, उन्हें भी स्पीच देने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। 

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, देश की बेइज्ज़ती का सिलसिला यहीं नहीं रुका। ट्रम्प ने अपनी स्पीच में आतंकवाद के शिकार देशों में भारत, रूस और ऑस्ट्रेलिया तक का नाम लिया, लेकिन पाकिस्तान को लेकर एक शब्द तक नहीं कहा। इतना ही नहीं, ट्रम्प ने साफ कहा कि किसी भी मुस्लिम देश को अपनी सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवादियों की पनाहगाह के लिए नहीं करने देना चाहिए। ये एक तरह की वॉर्निंग थी, क्योंकि ट्रम्प ने ये क्लियर कर दिया कि मुस्लिम देशों को इस बारे में वादा करना होगा। 

बता दें कि भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तानी नागरिकों का नाम सामने आ चुका है, फिर चाहे वो अमेरिका में 9/11 का हमला हो या फिर 26/11 के मुंबई हमले।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के चीफ इमरान खान ने कहा- नवाज वहां क्या करने गए थे। ट्रम्प ने उनसे बातचीच करना तो दूर, हाथ मिलाना भी मुनासिब नहीं समझा। ये मुल्क की बेइज्ज़ती नहीं तो और क्या है? अमेरिका भेदभाव कर रहा है, इससे हमें तकलीफ हुई है। पाकिस्तान के लोग बहुत निराश हैं। 

द नेशन में पाकिस्तान के एक सिक्युरिटी एक्सपर्ट सलीम बुखारी ने लिखा- ये कैसी समिट हुई? जहां एक न्यूक्लियर पावर जो खुद आतंकवाद का शिकार है, उसके हेड ऑफ द स्टेट को अपना नजरिया पेश करने का मौका तक नहीं दिया गया। हमारे भी 70 हजार नागरिकों ने जान गंवाई है। 

‘डेली पाकिस्तान’ ने एडिटोरियल में कहा- 55 इस्लामिक देशों की समिट में बेहद छोटे मुल्कों ने बात रखी, पाकिस्तान को नजरअंदाज क्यों किया गया?

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