लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने मौत की सजा पाए मानसिक रूप से बीमार कैदियों को फांसी देने के खिलाफ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरोध के बीच पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया (मानसिक बीमारी) से पीड़ित एक पूर्व पुलिस अधिकारी की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित ऐसे ही एक मामले में फैसला आने तक रोक लगा दी है।
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लाहौर हाई कोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की ओर से जारी पूर्व पुलिसकर्मी खिज्र हयात की फांसी वारंट पर रोक लगा दी। इससे पहले हयात को 17 जनवरी को फांसी देना निर्धारित किया गया था। हयात को 2003 में एक सहयोगी की गोली मारकर हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी।
जज शाहिद हमीद डार के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार कैदी इमाद अली के एक ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के लिए इंतजार करना उचित होगा। उससे यह पता चल पाएगा कि हयात के मामले में आगे कैसे बढ़ना है। अदालत ने गृह विभाग को 30 जनवरी तक एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।