Friday, April 26, 2024
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नवाज शरीफ के साथ जुड़ा रहा यह अनचाहा 'रिकॉर्ड', बदकिस्मती ने नहीं छोड़ा पीछा

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सियासत बार-बार करवटें बदलती रही है। कभी उन्हें देश छोड़कर बाहर रहना पड़ा, तो कभी उन्होंने पाकिस्तानी जनता में खुद पर विश्वास पैदा कर सत्ता की चाबी हासिल की।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 28, 2017 16:05 IST
Nawaz Sharif | AP Photo- India TV Hindi
Nawaz Sharif | AP Photo

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सियासत बार-बार करवटें बदलती रही है। कभी उन्हें देश छोड़कर बाहर रहना पड़ा, तो कभी उन्होंने पाकिस्तानी जनता में खुद पर विश्वास पैदा कर सत्ता की चाबी हासिल की। लेकिन क्या आपको पता है कि ‘पंजाब का शेर’ कहे जाने वाले नवाज शरीफ रिकॉर्ड 3 बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। कभी राष्ट्रपति कार्यालय के जरिए, फिर सेना और अब अदालत ने उनको सत्ता से बेदखल कर दिया।

पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारुढ़ पार्टी PML-N के मुखिया शरीफ जून, 2013 में तीसरे कार्यकाल में सत्ता पर आसीन होने के बाद से सभी सुनामी से पार पाने में सफल रहे, लेकिन पनामागेट मामले में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया जो उनके करियर के लिए बहुत बड़ा झटका है। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पाकिस्तान ऐसे समय राजनीतिक संकट में चला गया जब वह अर्थव्यवस्था के बुरे हालात और बढ़ते चरमपंथ का सामना कर रहा है। देश की समस्याओं को दूर करने में सक्षम नेता के तौर पर छवि रखने वाले शरीफ पनामा पेपर्स के सामने आने के बाद समस्याओं से घिर गए। 

शरीफ और उनके परिवार पर विदेश में अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने तथा कर चोरों की पनाहगाह के तौर पर पहचान रखने वाले ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में कंपनियां खोलने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए संयुक्त जांच दल (JIT) के गठन का फैसला किया। शरीफ, उनके बेटों हसन और हुसैन, बेटी मरियम तथा भाई एवं पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ JIT के समक्ष पेश हुए। JIT ने गत 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी। JIT ने कहा कि शरीफ और उनकी संतानों की जीवनशैली उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज्यादा भव्य है और उसने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी। शरीफ ने JIT की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे बेबुनियाद आरोपों का पुलिंदा करार दिया था और पद छोड़ने से इनकार किया था।

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