इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि उनके प्रशासन ने कश्मीर में आजादी के लिए लड़ रहे लोगों (फ्रीडम फाइटर्स) को अपने वश में कर रखा था, लेकिन बाद में यह लगा कि भारत के साथ मुद्दे पर बातचीत के लिए राजनीतिक प्रक्रिया की जरूरत है। साल 1999 में तख्तापलट के बाद पाकिस्तान की सत्ता पर आसीन हुए मुशर्रफ 2001 से 2008 तक राष्ट्रपति रहे।
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उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भारत को उन मुद्दों पर चर्चा के लिए मजबूर करने में सक्षम थी जिस पर वह बातचीत करने का इच्छुक नहीं था। समाचार चैनल दुनिया न्यूज को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, सेना प्रमुख और देश के राष्ट्रपति के तौर पर हम सफल रहे थे। हम भारत को बातचीत की मेज पर लाने और उन मुद्दों पर गौर करने में सक्षम थे जिन पर भारत चर्चा करने के लिए तैयार नहीं था।
मुशर्रफ ने कहा कि उनकी सरकार ने कश्मीर में आजादी के लिए लड़ रहे लोगों को अपने वश में कर रखा था और बाद में उनको लगा कि भारत के साथ आगे की बातचीत के लिए राजनीतिक प्रक्रिया की जरूरत है। विदेश जाने से प्रतिबंधित सूची से अपना नाम हटाए जाने के बाद वह पिछले साल मार्च में पाकिस्तान से दुबई के लिए चले गए। मुशर्रफ ने यह भी आरोप लगाया कि अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय भारत के हाथों में खेल रही है और पाकिस्तान में आतंकी समूहों को मदद के लिए औजार के तौर पर इसका इस्तेमाल हो रहा है।