Friday, March 29, 2024
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मसूद खान ने कहा, ''भारत को माना जाता है सर्वोच्च, वीटो जैसा अधिकार प्राप्त''

पाकिस्तान के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक का कहना है कि भारत के प्रभाव और उसके आर्थिक शक्ति होने के कारण अन्य देश संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाने को अनिच्छुक हैं।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: December 05, 2017 10:02 IST
राष्ट्रपति मसूद खान- India TV Hindi
राष्ट्रपति मसूद खान

वाशिंगटन: पाकिस्तान के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक का कहना है कि भारत के प्रभाव और उसके आर्थिक शक्ति होने के कारण अन्य देश संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाने को अनिच्छुक हैं। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और वर्तमान में पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के राष्ट्रपति मसूद खान का कहना है कि दक्षिण एशियाई दोनों पड़ोसियों के बीच बातचीत में भारत का कहना ही सर्वोच्च माना जाता है, उसे वीटो जैसा अधिकार है। खान फिल्हाल वाशिंगटन में हैं। उनका कहना है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कश्मीर के मौजूदा हालात से वाकिफ कराने के अपने प्रयासों के तहत यहां आये हैं। अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल में एक सवाल के जवाब में खान ने कहा, ‘‘भारत की कुछ देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी है। चूंकि यह पश्चिम के शक्तिशाली देशों को लुभावने सौदे की पेशकश करता है, इसलिए कश्मीर पर वास्तविकता में ‘गैग ऑर्डर’ लगा दिया है।’’

खान का कहना है कि भारत के बढ़ते प्रभाव के कारण यहां वाशिंगटन डीसी, ब्रसेल्स, लंदन और अन्य देशों की राजधानियों में लोग कश्मीर की बात नहीं करते हैं, क्योंकि इसका उन देशों पर प्रतिकूल प्रभाव होगा। जैसे आर्थिक लेनदेन खराब होगा और रणनीतिक मूल्य भी चुकाना पड़ सकता है। बेहद कम लोगों की उपस्थिति वाले इस कार्यक्रम में खान ने आरोप लगाया कि भारत के कारण संयुक्त राष्ट्र अपने स्वयं के प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र राजनीति के कारण आगे नहीं बढ़ रहा है।’’ खान ने कहा, ‘‘सुरक्षा परिषद् ने पहले शीत युद्ध और अब अन्य कई कारणों से जम्मू-कश्मीर विवाद पर संज्ञान नहीं ले रहा है, जो अफसोसजनक है, क्योंकि सुरक्षा परिषद् को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के चैप्टर छह और चैप्टर सात के तहत उसे जनादेश दिया गया है।’’

खान ने दलील दिया कि संयुक्त राष्ट्र को कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘उसे अग्रसक्रिय होना चाहिए। यह वास्तवित राजनीति के कारण है। यह दो अन्य कारकों की वजह से भी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक कारक यह है कि पिछले 30-40 वर्षों में भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय वार्ता में बहुत सारी ऊर्जा और समय निवेश किया है। लेकिन यह द्विपक्षीय वार्ता कश्मीरियों के लिए मृग मरीचिका ही साबित हो रहे हैं क्योंकि इसका कोई परिणाम नहीं निकलता।’’ खान ने कहा कि दूसरी वजह यह है कि बातचीत के ‘टाइमटेबल’ पर भारत का वीटो है। उन्होंने कहा, ‘‘वह अपनी मर्जी से बातचीत शुरू करते हैं और जब उन्हें रास नहीं आता वह पाकिस्तान पर आतंकवाद का आरोप लगा देते हैं।’’ खान ने दावा किया कि पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में कोई आतंकवादी नहीं है।

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