Friday, March 29, 2024
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"चीन के सैन्य विकास को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है भारत"

चीन में सरकार संचालित एक अखबार ने आज कहा कि भारत को बीजिंग के सैन्य विकास की या चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी चिंताओं की बढ़ा-चढ़ाकर व्याख्या नहीं करनी चाहिए।

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: May 08, 2017 14:03 IST
India telling increasingly on china military development - India TV Hindi
India telling increasingly on china military development

बीजिंग: चीन में सरकार संचालित एक अखबार ने आज कहा कि भारत को बीजिंग के सैन्य विकास की या चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी चिंताओं की बढ़ा-चढ़ाकर व्याख्या नहीं करनी चाहिए। अखबार ने यह बात ऐसे समय कही है जब कुछ दिन पहले भारत के सेना प्रमुख ने नयी दिल्ली को भविष्य के प्रतिद्वंद्वियों की जवाबी घेराबंदी की सलाह दी थी। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रकाशन ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है कि भारत को चिंता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद में चीन जानबूझकर दखल दे रहा है और वह सीपीईसी (जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है) को विवादित क्षेत्र पर इस्लामाबाद के कब्जे को वैधता देने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। (शिक्षक पर लगा बच्चों को ट्रंप के पुतले को मारने की अनुमति देने का आरोप)

इसने कहा, बीजिंग और इस्लामाबाद को भारत संभावित खतरे के रूप में देख रहा है और वह बीजिंग की वन बेल्ट एंड वन रोड पहल तथा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर संदेह कर रहा है। अखबार ने कहा कि भारत स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है। इसने कहा, बीजिंग नयी दिल्ली की संप्रभुता संबंधी चिंताओं का सम्मान करता है और भारत तथा पाकिस्तान दोनों की इच्छाओं के अनुरूप होने की शर्त पर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करना चाहता है।

चीनी दैनिक में यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब पिछले सप्ताह जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारत को सुरक्षा परिदृश्य पर गौर करते हुए ईरान, इराक और अफगानिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध रखने चाहिए। रावत ने कहा था कि इस तरह की रणनीति से पाकिस्तान के लिए दोतरफा दुविधा पैदा होगी और इससे अन्य कठिन पड़ोसी चीन से निपटने में भी मदद मिलेगी । उन्होंने सलाह दी थी कि भारत को भविष्य के प्रतिद्वंद्वियों की जवाबी घेराबंदी करनी चाहिए। भारतीय सेना प्रमुख की इस टिप्पणी का उल्लेख करते हुए चीनी अखबार ने कहा कि चीन शांतिपूर्ण विकास की वकालत करता है और यह क्षेत्र में न तो कभी प्रभुत्व चाहता है और न ही चाहेगा।

 

 

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