Thursday, April 25, 2024
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'भारत और चीन को बदलनी चाहिए अपनी कूटनीतिक रणनीति'

बीजिंग: चीनी की सरकारी मीडिया का कहना है कि अगले हफ्ते रणनीतिक वार्ता के दौरान भारत और चीन को संबंधों को सुधारने के लिए अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव करना चाहिए क्योंकि टकरावों को दूर

Bhasha Bhasha
Published on: February 17, 2017 8:06 IST
Modi-Xi- India TV Hindi
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बीजिंग: चीनी की सरकारी मीडिया का कहना है कि अगले हफ्ते रणनीतिक वार्ता के दौरान भारत और चीन को संबंधों को सुधारने के लिए अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव करना चाहिए क्योंकि टकरावों को दूर करने में बफर के रूप में काम करने वाले आर्थिक रिश्ते बाजारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते कमजोर हो रहे हैं।

सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आलेख में कहा गया है, ‘जब प्रतिस्पर्धा बढ़ती है तो व्यापारिक टकराव को दूर करने के रूप में काम करने वाला आर्थिक रिश्ता कमजोर होता है। ऐसे में दोनों पड़ोसियों को जटिल राजनीतिक स्थिति से और सावधानी से निबटने की जरूरत है।’ इस दैनिक वेबवाइट का यह आलेख कहता है कि पहला भारत चीन रणनीतिक वार्ता 22 फरवरी को बीजिंग में होने की संभावना है। यह अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव के लिए दोनों देशों को एक बड़ा मौका प्रदान करेगा।

चीन-भारत वार्ता में विदेश सचिव एस. जयशंकर भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे। संभावना है कि दोनों पक्ष विभिन्न मुद्दों पर बढ़ते तनाव के समाधान के लिए कदमों पर चर्चा करेंगे। इन मुद्दों में जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश के मार्ग में चीन द्वारा अवरोध खड़ा करना शामिल है। अखबार कहता है, ‘ताईवान के महिला प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के बाद भारत-चीन संबंध गंभीर इम्तिहान से गुजर रहा है। ऐसे मुद्दों को भविष्य में और सावधानी से संभाला जाना चाहिए।’

रिपोर्ट कहती है कि आर्थिक रिश्ते अब बफर के रूप में काम नहीं करते क्योंकि एक नये अध्ययन के मुताबिक अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में चीन का भारत के साथ निम्न औद्योगिक पूरकता है, फलस्वरूप वैश्विक बाजार में दोनों देशांे के उत्पादों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा पैदा होती है।

सरकारी थिंक टैंक चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के एक नये अध्ययन का हवाला देकर इस आलेख में कहा गया है कि अधिक आर्थिक प्रतिस्पर्धा की संभावना है जिससे भावी चीन-भारत रिश्ते में अधिक अनिश्चितता के बादल मंडराने की आशंका है। पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़े भारत चीन व्यापार एवं निवेश संबंधों को दोनों देशों के बीच सीमा एवं रणनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसे जटिल मुद्दों से निबटने के लिए बफर माना जाता है।

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