बीजिंग: चीन की एक बच्चे की नीति के कारण तीन से छह करोड़ लड़कियां गायब होने के सिद्धांत को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। यह दावा एक नये अध्ययन में किया गया है। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कन्सास (केयू) के शोधकर्ताओं ने पाया कि इस संख्या को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने की संभावना है और इनमें काफी संख्या में लड़कियां लापता नहीं हुई हैं। केयू में राजनीति शास्त्र के सहायक प्रोफेसर जॉन केनेडी ने कहा, लोग सोचते हैं कि कुल जनसंख्या में से तीन करोड़ लड़कियां लापता हैं। इतनी कैलिफोर्निया की आबादी है और उनका मानना है कि वे खत्म हो चुकी हैं।
केनेडी ने कहा, अधिकतर लोग जनसांख्यिकीय विश्लेषण का प्रयोग करते हुए कह रहे हैं कि भ्रूण हत्या या शिशु हत्या के कारण उन्हें जनगणना में नहीं दिखाया जाता और वे अस्तित्व में नहीं हैं। लेकिन हम पाते हैं कि इसका राजनीतिक कारण है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि 2010 की चीन की जनगणना में पाया गया कि लिंग अनुपात 118 लड़के पर 100 लड़कियां हैं। वैश्विक रूप से औसत 105 लड़कों पर सौ लड़कियों का है। उन्होंने कहा कि 2015 में चीन की सरकारी मीडिया ने घोषणा की कि सभी दंपति को दो बच्चों को जन्म देने की अनुमति दी जाएगी जिससे 35 वर्ष पुरानी विवादास्पद नीति के खत्म किए जाने के संकेत मिल रहे थे लेकिन शोधकर्ता और नीति निर्माता इस बात का पता लगा रहे हैं कि प्रतिबंध का चीन पर क्या सामाजिक प्रभाव पड़ेगा।