इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने पाकिस्तान में रह रहे करीब 400 निर्वासित तुर्क नागरिकों के देश छोड़ने के सरकार के आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की गयी याचिका आज खारिज कर दी। इनमें से ज्यादातर लोग स्कूली शिक्षक और उनके परिवार के लोग हैं। फैसला ऐसे समय में आया जब तुर्कीर् के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एरदोगन पाकिस्तान की यात्रा कर रहे हैं।
पाक तुर्क एजुकेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष आलमगीर खान और कर्मचारी रमजान अरसलान तथा मूरत इरवान ने 20 नवंबर से पहले देश छोड़ने के आदेश को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। निर्वासित शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों तथा उनके परिवारों को देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।
तुर्की के राष्ट्रपति के दो दिवसीय यात्रा पर कल पाकिस्तान पहुंचने की पूर्व संध्या पर ये आदेश जारी किए गए थे। न्यायमूर्ति अमीर फारूक ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं से गृह मंत्रालय कर रूख करने को कहा। उन्होंने कहा कि किसी देश में रहने के दौरान किसी विदेशी नागरिक के वीजा की मियाद खत्म हो जाए तो वह वीजा की अवधि बढ़वाने के लिए गृह मंत्रालय का रूख करता है ना कि अदालत का दरवाजा खटखटाता है।
गौरतलब है कि एरदोगन पाक-तुर्क स्कूलों के नेटवर्क और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाक पर दबाव डाल रहे हैं। दरअसल, ये लोग उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी और धर्मगुरू फतेउल्ला गुलेन से कथित तौर पर जुड़े रहे हैं जिन्हें तुर्क नेताओं ने 15 जुलाई की नाकाम तख्तापलट की कोशिश के लिए जिम्मेदार ठहराया है।