बीजिंग: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत जैसे गैर एनपीटी सदस्यों के प्रवेश के विरोध का बचाव करते हुए चीन ने शुक्रवार को कहा कि उसका रुख 48 देशों के समूह के नियमों के अनुसार है, जो किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं हैं। चीन ने एनएसजी में गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के मुद्दे पर आम सहमति के लिए ‘सामान्य से हटकर’ सोच की वकालत की।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘चीन दो चीजें चाहता है, हमें एनएसजी के नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि इस तरह के नियम किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं है। हमें सामान्य से हटकर सोचकर आमसहमति के लिए मेहनत करनी चाहिए।’ हुआ ने दावा किया कि सोल में एनएसजी के पूर्ण सत्र के दौरान चीन ने ‘चयनात्मक तरीके से’ गैर एनपीटी राष्ट्रों के प्रवेश को लेकर आगे बढ़ने के लिए कुछ अन्य देशों के साथ मिलकर काम किया।
उन्होंने कहा, ‘पूर्ण सत्र में यह भी प्रमुख प्रगति है। चीन उस दिशा में सकात्मक और रचनात्मक रूप से काम कर रहा है।’ हुआ ने कहा कि भारत और अन्य एनपीटी देशों का प्रवेश पूर्ण सत्र के एजेंडे में नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह कहने का कोई मतलब नहीं कि चीन ने उनके प्रवेश पर आपत्ति जताई। हमने इस संबंध में कुछ मीडिया रिपोर्ट देखी हैं। आशा है कि मीडिया इस तरह की खबरें देते वक्त सटीक तथ्य स्पष्ट करेगा ताकि लोगों को गुमराह होने से बचाया जा सके।’
हुआ की इन टिप्पणियों से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन मांगा था। मोदी ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करते हुए उनसे भारत के आवेदन का ‘निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ’ तरीके से आकलन करने का अनुरोध किया था।
एनएसजी का पूर्ण सत्र आज समाप्त हुआ और भारत की सदस्यता पर कोई फैसला नहीं हुआ क्योंकि चीन के नेतृत्व में विरोध के बीच गैर एनपीटी सदस्यों के प्रवेश पर टकराव बना हुआ है।