Tuesday, March 19, 2024
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क्यूबावासियों ने फिदेल कास्त्रो की याद में निकाली रैली

हवाना: क्यूबा के दिवंगत साम्यवादी नेता फिदेल कास्त्रो के अस्थिकलश को देशभर में ले जाने से पहले लाखों क्यूबावासियों ने लातिन अमेरिकी और अफ्रीकी नेताओं के साथ हवाना में रैली निकाली। उन्होंने खचाखच भरे रिवॉल्यूशन

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: November 30, 2016 12:39 IST
cuba citizen took out a rally in the memory of fidel castro- India TV Hindi
cuba citizen took out a rally in the memory of fidel castro

हवाना: क्यूबा के दिवंगत साम्यवादी नेता फिदेल कास्त्रो के अस्थिकलश को देशभर में ले जाने से पहले लाखों क्यूबावासियों ने लातिन अमेरिकी और अफ्रीकी नेताओं के साथ हवाना में रैली निकाली। उन्होंने खचाखच भरे रिवॉल्यूशन स्क्वेयर में फिदेल, फिदेल और क्रांति अमर रहे के नारे लगाए। यह वह मैदान है जहां उन्होंने कई यादगार भाषण दिए थे। नेशनल लाइब्रेरी में कास्त्रो की काफी बड़ी तस्वीर लगाई गई जिसमें दाढ़ी वाले युवा कास्त्रो गुरिल्ला वर्दी में नजर आ रहे हैं और उनके कंधे पर राइफल टंगी हुई है। यहां उनके भाई और वारिस राउल कास्त्रो ने जनता का अभिवादन किया।

इक्वाडोर के वामपंथी राष्ट्रपति राफेल कोर्रिया ने कास्त्रो की विचारधारा की प्रशंसा करते हुए कहा हम शपथ लेते हैं कि इन विचारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जेकब जुमा ने कास्त्रो के रंगभेद नीति के खिलाफ विरोध का जिक्र करते हुए उन्हें 20वीं सदी के महान नायकों में से एक बताया और कहा कि विरोधियों के खिलाफ अंगोला सरकार को समर्थन देने के लिए उन्होंने क्यूबाई सेना को वहां तैनात किया था।

विश्व के कई नेताओं ने इससे परहेज किया। रूस, चीन और ईरान जैसे मित्र देशों के राष्ट्रपतियों ने भी अपने सहयोगियों को भेजा। कास्त्रो का 90 वर्ष की आयु में शुक्रवार को निधन हो गया था। मंगलवार के समारोह के बाद कास्त्रो के अस्थिकलश को लेकर आजादी का कारवां देशभर में उसी मार्ग पर चलेगा जो वर्ष 1959 में उनके गुरिल्ला अभियान का मार्ग था। स्मृति समारोह रविवार को खत्म होगा जिसके बाद उनके अस्थिकलश को पूर्वी शहर सेंटियागो दे क्यूबा में रख दिया जाएगा, यहीं पर 19वीं सदी के आजादी के हीरो जोस मारती को दफनाया गया है।

कौन है फिदेल कास्त्रो

1959 में कास्त्रो, रेवोल्यूशन के जरिए अमेरिका सपोर्टेड फुल्गेंकियो बतिस्ता की तानाशाही को उखाड़ फेंक सत्ता में आए थे।

फिर वह क्यूबा के पीएम बन गए और 1976 तक इस पोस्ट पर रहे।
कास्त्रो 1976 से 2008 तक क्यूबा के राष्ट्रपति भी रहे।
साल 1965 में ये क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के पहले सेक्रेटरी बने।
एडमिनिस्ट्रेशन में क्यूबा वन-पार्टी कम्युनिस्ट स्टेट बना।

 

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