ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ के चौथे निर्णायक टेस्ट मैच में घायल विराट कोहली की जगह अजंक्य रहाणे ने जिस तरह से कप्तानी की उसकी चारों करफ तारीफ़ हो रही है, ख़ासकर जिस ठंडे दिमाग़ से उन्होंने दूसरी पारी में अपने बॉलर्स का इस्तेमाल किया, उसकी भी सराहना हो रही है। दूसरी तरफ कोहली के गर्म मिजाज़ वाली कप्तानी पर भी चर्चा हो रही है। चर्चा ये है कि टीम इंडिया के लिए बतौर कप्तान ठंडे दिमाग़ वाले रहाणे बेहतर हैं या फिर गर्म मिजाज़ वाले कोहली।
ऑस्ट्रेलिया पूर्व विकेटकीपर ब्रैड हैडिन ने रहाणे की कप्तानी की तारीफ़ करते हुए कहा कि कोहली को अब अपनी कप्तानी के अति आक्रामक रवैये के बारे में सोचना पड़ेगा। उनका कहाना है कि बतौर कप्तान रहाणे की शांत मगर असरदार मौजूदगी ने क्रिकेट अधिकारियों को अब काफी कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया होगा।
कोहली कंधे की चोट की वजह से अगले हफ़्ते शुरु हो रहे 2017 शायद फ़ौरन हिस्सा न ले सकें और हैडिन का सुझाव है कि कोहली को इस वक़्त का इस्तोमाल अपनी कप्तानी के स्टाइल के बारे में सोचने में करना चाहिये। “लंबे और सफल घरेलू सीज़न के ख़त्म होने के बाद मुझे लगता है कि कोहली को बल्लेबाज और कप्तान के रुप में अपने बारे में सोचने का समय चाहिये। पिछले छह हफ़्ते क्या हुआ उस पर ईमानदारी से सोचने और निष्पक्ष नतीजे पर पहुंचने का मौक़ा है।''
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क्रिकइंफो के अनुसार हैडिन ने इसके पहले दावा किया था कि चौथे मैच में कोहली ब्रेक के दौरान मैदान पर जाकर खिलाड़ियों को पानी पिला रहे थे उससे रहाणे की कप्तानी पर प्रतिकूल असर पड़ा होगा। हैडिन का मानना है कि कोहली ने अपनी ज़ाती जंग को अपनी कप्तानी पर तारी होने दिया और अपनी टीम को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने पर मजबूर कर दिया।
हैडिन का कहना है कि जब कोहली का ख़ुद का फ़ार्म खराब होने लगा तो वह इसकी भरपाई के लिए और आक्रामक होने लगे जिसमें टीम के लोग भी शामिल हो गए जबकि रहाणे की कप्तानी से साफ ज़ाहिर है कि टीम इंडिया ने उनकी कमान में अपने हुनर का कही बेहतर इस्तेमाल किया। कोहली की कप्तानी में भारत की जो कमज़ोरियां थी वही रहाणे की कप्तानी में ताक़त बन गईं।
ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में उमेश यादव ने शानदार बॉलिंग की लेकिन ये यह भी दर्शाता है कि कैसे रहाणे ने बतौर कप्तान नाज़ुक मौक़ों को पहचानकर उसका फ़ायदा उठाया।
दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया 137 पर ढेर हो गई थी और भारत के सामने सिर्फ 106 का ही लक्ष्य रख पाई थी।
हैडन के अनुसार “कोहली की कप्तानी बरक़रार रहने का सवाल बिल्कुल नही है लेकिन उनकी और रहामे की कप्तानी के तौर तरीके के बाद कोहली को सोचना पड़ेगा कि वह आगे किस तरह टीम इंडिया का नेतृत्व करते हैं।”
ऑस्ट्रेलिया के महान स्पिनर सैन वॉर्न ने भी कोहली की कप्तानी पर सवाल उठाए हैं।