Lok Sabha Elections 2024 : देश में पहली बार वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में नोटा का विकल्प रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग में यह कदम उठाया था।
विधानसभा चुनाव पांच राज्यों में कराए गए हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में मतगणना रविवार को हुई। मध्य प्रदेश में 0.98 फीसदी वोटर्स ने ‘NOTA’ का विकल्प चुना।
याचिका में मांग की है कि NOTA पर ज्यादा वोट जाने पर उस सीट का चुनाव रद्द कर दिया जाना चाहिए और उस सीट पर 6 महीने के अंदर फिर से चुनाव कराया जाना चाहिए
आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में जोरदार झटका लगा है, आम आदमी पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिलते हुए दिख रहे हैं।
आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में जोरदार झटका लगा है, आम आदमी पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिलते हुए दिख रहे हैं।
आरक्षित बस्तर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया है। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 1.96 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा पर मतदान किया है।
गुजरात में जितनी बड़ी संख्या में नोटा को वोट पड़े हैं वह भाजपा और कांग्रेस के लिए एक बड़ा सवाल पैदा करते हैं। दोहोद और छोटा उदयपुर जैसी लोकसभा सीटों पर नोटा में 30 हजार से ज्यादा वोट पड़े हैं।
2014 के लोकसभा चुनावों में भी कुछेक लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की जीत का अंतर NOTA के तहत पड़े वोटों से कम था
राजस्थान में आम आदमी पार्टी को कुल मिलाकर 135816 वोट मिले हैं जो NOTA के तहत पड़े वोटों के मुकाबले 71 प्रतिशत कम हैं। NOTA के तहत राजस्थान में 467781 वोट पड़े हैं
शाम 6.30 बजे तक NOTA के तहत मध्य प्रदेश में 4.62 लाख से ज्यादा और राजस्थान में 4.53 लाख से ज्यादा वोट गिने गए हैं
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीसरी शक्ति बनने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की करारी हार हुई है। आप के ज्यादातर प्रत्याशी जमानत भी नहीं बचा सके।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच वोटों का जितना अंतर है उससे ज्यादा वोट तो NOTA में डाले जा चुके हैं
यह फैसला शैलेष मनुभाई परमार की याचिका पर आया है। पिछले राज्यसभा चुनाव में वह गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक थे जिसमें पार्टी ने सांसद अहमद पटेल को उतारा था।
बीजेपी को सीटों के मामले में पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले बड़ा नुकसान हुआ है, वहीं कांग्रेस ने 2012 के चुनावों से ज्यादा सीटें जीती हैं...
दोपहर 3 बजे तक भारतीय जनता पार्टी को 1.42 करोड़, कांग्रेस को 1.20 करोड़, निर्दलीय को 12.44 लाख, बसपा को 2 लाख और एनसीपी को 1.81 लाख वोट मिले हैं।
कुछ जातीय समूह और छोटे तथा मध्यम व्यवसायी नोटा का इस्तेमाल कर सकते हैं जो जीएसटी को लेकर भाजपा से नाखुश हैं...
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल से जुड़ा नोटिफिकेशन 2014 में ही जारी किया था, ऐसे में कांग्रेस को इसकी खामियां इस वक्त क्यों नजर आ रही हैं? दरअसल सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि सभी चुनावो
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के 2013 के उस आदेश को आधार बनाया है जिसमें कहा गया था कि राज्यसभा जैसे अप्रत्यक्ष चुनावों में नोटा का इस्तेमाल नहीं होगा। कांग्रेस पार्टी की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई
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