दक्षिण चीन सागर में फिलिपींस और चीन के बीच तनातनी जारी है। चीन अपनी दादागिरी इस इलाके में दिखाता है। इसी बीच भारत के साथ फिलिपींस द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल की डील करने के बाद से ही चीन के होश उड़े हुए हैं। अब फिलिपींस के साथ एक और रक्षा डील होने जा रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत के साथ 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इससे भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। इस सौदे के बाद पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन और अधिक खौफ खाएंगे।
चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के लिए भारतीय जवान अब सीमा पर और भी ज्यादा खतरनाक साबित होने वाले हैं। भारतीय जवानों के हाथों में अब रूस की विमान भेदी मिसाइल इग्ला-एस आने वाली है।
सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बातचीत की है। वह सिंगापुर के राष्ट्रपति षणमुगारत्नम से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने आसियान देशों के क्षेत्रीय राजदूतों के सम्मेलन की इस दौरान अध्यक्षता भी की। भारत ने सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अवसर तलाशा।
भारत और अमेरिका में रणनीतिक साझेदारी समझौता होने के बाद से दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में नई इबारत लिखने को बेताब हैं। भारत में अमेरिका के सहयोग से जल्द फाइटर प्लेन, टोही विमान, निगरानी विमान समेत अन्य रक्षा उपकरणों का उत्पादन शुरू होने वाला है। इसके लिए पेंटागन भारत सरकार के साथ सक्रियता को बढ़ा रहा है।
पाकिस्तान के साथ अमेरिका अब हर कदम फूंक-फूंक कर उठाना चाहता है। क्योंकि उसे भारत के साथ अपने संबंधों के बिगड़ने का खतरा भी सता रहा है। इस बीच पाकिस्तान की कैबिनेट ने नए सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी है। मगर अमेरिका इस पर आगे बढ़ने से पहले भारत के साथ संबंधों का आकलन कर रहा है।
अमेरिका में पीएम मोदी की विजिट का आज सबसे अहम दिन है। आज पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच बड़ी रक्षा डील पर दस्तखत हो सकते हैं। इन दो बड़ी डील पर सबकी नजर है। यह डील हो गई तो चीन और पाकिस्तान बैचेन हो जाएंगे।
जर्मनी के रक्षामंत्री बोरिस पिस्टोरियस दो दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं। उन्होंने यहां रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा समझौता और अन्य रणनीतिक साझेदारियों पर बातचीत की है। जर्मनी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की हेकड़ी निकालने के लिए भारत के साथ और अधिक सक्रियता से काम करेगा।
पीएम मोदी के 9 वर्षों के कार्यकाल में ही भारत ने रक्षा के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। भारतीय सेना की ताकत पहले से कई गुना बढ़ गई है। खास बात यह है कि हिंदुस्तान अब लड़ाकू विमानों और हथियारों के लिए विदेश पर निर्भर नहीं रहा।
रूस कम से कम इस दशक के अंत तक बढ़ती सैन्य संसाधनों की वैश्विक डिमांड को पूरा करने में उतना सक्षम नहीं रहेगा। इनमें सबसे अहम खरीदार भारत है, जिसने रूस के साथ ब्रह्मोस से लेकर एस.400 मिसाइल रोधक प्रणाली तक के लिए डील कर रखी है।
भारत इस समय आत्मनिर्भरता के साथ पूरे विश्व को हथियार से लेकर गोला बारूद तक एक्सपोर्ट करने की तैयारी में जुट गया है और यही देश की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
भारत ने सोमवार को मॉरीशस को 10 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा (एलओसी) देने की घोषणा की। इसके जरिये मॉरीशस भारतीय रक्षा उपकरणों की खरीद कर सकेगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि डील के तहत भारत अमेरिका को अपाचे और MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर देगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच आज मंगलवार (25 फरवरी) को होने वाली बातचीत बेहद अहम है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर संप्रग शासन के दौरान हुए रक्षा सौदे को लेकर निशाना साधा।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 19वीं भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर वार्ता के लिए 4-5 अक्टूबर को नई दिल्ली के दौरे पर होंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस दौरे के दौरान राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री मोदी के साथ आधिकारिक वार्ता करेंगे।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि भारत रूसी रक्षा खरीद पर कोई स्वतंत्र निर्णय लेगा। रूसी रक्षा खरीद को संभावित रूप से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
फ्रांस के साथ प्रस्तावित राफेल लड़ाकू विमान के करार में भारत करीब 1,50,000 यूरो की अंतिम छूट हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।
विदेशी रक्षा कंपनियां अब सशस्त्र सेनाओं तथा सरकार को अपने उत्पादों के विपणन के लिए एजेंट नियुक्त कर सकती हैं।
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