चंद ने कहा कि अगर व्यापारियों को बिना मांग और आपूर्ति के समर्थन वाली कीमत पर गेहूं या चावल खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है, तो खरीदारी नहीं होगी। चंद ने कहा कि जब सरकार किसी चीज (गेहूं या चावल) को फिर से उस कीमत पर खरीदती है जो मांग और आपूर्ति पर आधारित नहीं है, तो इसका आर्थिक प्रभाव होता है।
सूत्रों के मुताबिक, अगर किसान ज्यादा पानी की खपत करने वाली धान की फसल से हटने का विकल्प चुनते हैं तो सरकार बिना किसी मात्रात्मक प्रतिबंध के एमएसपी पर दाल, मक्का और कपास की खरीद पर विचार कर सकती है।
किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान को देखते हुए राजधानी की तमाम सीमाओं की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस बलों की तैनाती कर दी गई है। पुलिस सूत्रों की मानें तो छोटे-छोटे ग्रुप में ट्रेन और बस से किसान दिल्ली पहुंच सकते हैं।
Farmers' protest : सरकार ने गन्ना किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को गन्ना खरीद की कीमत में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने को मंजूरी दी है।
राकेश टिकैत ने सरकार द्वारा दिल्ली जा रहे किसानों को रोकने के लिए रास्ते में कीलें बिछवाये जाने से जुड़े सवाल के जवाब में कहा, रास्ते में कीलें बिछाना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। वे अगर हमारे लिए कील लगाएंगे तो हम भी अपने गांव में कील लगा देंगे।
किसानों ने सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने का फैसला किया। किसान 21 फरवरी से पहले सरकार को जवाब देंगे। वहीं, किसान संगठनों ने अभी आंदोलन खत्म करने का ऐलान नहीं किया है।
चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों की तीसरे राउंड की बैठक जारी है। यह दोनों पक्षों के बीच तीसरे चरण की वार्ता है। केंद्रीय मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री भगवंत मान अलग-अलग 17 किसान संगठनों के नेताओं को लगातार समझा रहे हैं।
राहुल गांधी ने कहा है कि देश में किसानों को जो मिलना चाहिए, वो उन्हें नहीं मिल रहा है। इसलिए किसान दिल्ली की तरफ जा रहे हैं, लेकिन उन्हें रोका जा रहा है, उनके ऊपर आंसू गैस के गोले दागे जे रहे हैं।
किसान संगठनों द्वारा दिल्ली में 13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन किया जाना है। इससे पहले चंडीगढ़ में किसान संगठनों और सरकार के बीच बैठक हुई। 5 घंटे चली यह बैठक बेनतीजा साबित हुई है। दरअसल किसान एमएसपी की गारंटी की मांग पर अड़े हैं।
किसानों ने अपनी मांगों को मंगवाने के लिए दिल्ली में आंदोलन करने का ऐलान किया है। पिछली बार की तरह इस बार भी किसानों की कई मांगें हैं, जिसमें MSP को कानून बनाना सबसे प्रमुख मांग है।
मोदी कैबिनेट की बैठक के बाद बुधवार को 2023-24 के लिए कोपरा के समर्थन मूल्य बढ़ाने को मंजूरी दे दी गई है। इस फैसले से भारतीय नारियल उत्पादकों को बेहतर पारिश्रमिक रिटर्न सुनिश्चित होगा।
केंद्र सरकार द्वारा गेहूं और चना समेत रबी की कुल 6 फसलों पर MSP बढ़ाने जाने पर खुशी जताते हुए सीएम खट्टर ने पीएम मोदी का आभार जताया है और इसे किसानों के लिए दिवाली का गिफ्ट करार दिया है।
यह बढ़ोतरी मोदी सरकार के अबतक के टेन्योर में सबसे ज्यादा है। मार्केटिंग ईयर 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है।
कांग्रेस ने खरीफ फसलों की MSP में बढ़ोत्तरी के सरकार के फैसले को लेकर उस पर निशाना साधते हुए कहा है कि सिर्फ एमएसपी बढ़ाने का एलान होता है, फसलों की खरीद नहीं होती।
MSP Rate Rice: किसानों के लिए केंद्र सरकार ने शानदार तोहफा दिया है। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। आइए इस बार किन फसल की कीमतों में बदलाव किया गया है जानते हैं।
किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पंजाब और हरियाणा के सैकड़ों किसानों ने शनिवार को चंडीगढ़ में संबंधित राज्यों के राजभवन की ओर मार्च किया और अलग से ज्ञापन सौंपा।
सरसो का MSP 400 रुपये से बढ़कर 5450 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। वहीं, कुसुम का MSP 209 रुपये से बढ़कर 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
MSP Rate: पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु में चल रहे खरीफ मार्केटिंग सीजन 2022-23 में कुल 1,16,761 किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,356.30 करोड़ रुपये से लाभ हुआ है।
Congress On MSP: कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह सरकार की ‘‘जन विरोधी नीतियों’’ का विरोध करती है और किसानों की उपज के वास्ते MSP सुनिश्चित कराने के लिए सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ेगी।
SKM Meeting In Ghaziabad: किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर एसकेएम फिर से आंदोलन करने की तैयारी में है। इसे लेकर योजना पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्च ने कल यानी 3 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बैठक बुलाई है।
संपादक की पसंद