संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने बड़ी बात कही है। स्टील ने कहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है और सिर्फ दो साल ही बचे हैं।
पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बज रही है। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर बड़ी बात सामने आई है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल वैश्विक गर्मी के रिकॉर्ड "टूट गए" थे, 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दशक रहा।
दुनिया में समय से पहले ही वसंत ऋतु का आगमन हो गया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसमी चेंजेस आ रहे हैं। वसंत ऋतु का ही प्रभाव है कि जापान से मैक्सिको तक फूल जल्दी खिल गए हैं। यूरोप में जो स्कीइंग करने वाले रिजॉर्ट हैं, वहां बर्फ गायब हो चुकी है।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जिस तरह से आर्कटिक का बर्फ पिघल रहा है उससे 48,500 साल पुराना वायरस जोंबी जो समुद्र की सतह में छिपा है, फिर से एक्टिव हो सकता है। जानिए पूरी डिटेल्स-
पत्रिका ‘एनर्जीस’ में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से उपजी परिस्थितियों के कारण आने वाले 100 सालों में 100 करोड़ लोगों की जान जा सकती है।
नासा के मुताबिक इस साल जुलाई महीने में साल 1880 के बाद सबसे ज्यादा गर्मी दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को बताया गया है।
अंटार्कटिका की पिघलती बर्फ ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों के होश उड़ा दिए हैं। यह महाविनाश का संकेत तो नहीं। क्या आगामी समय में धरती और अधिक गर्म होने वाली है, क्या धरती फिर से आग का गोला बनेगी। लगातार तेजी से गर्म होता तापमान वैसे भी शुभ संकेत नहीं दे रहा।
भारत और अमेरिका जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए प्रतिबद्धता से आगे बढ़ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी इसके लिए 25 से 29 जुलाई तक नई दिल्ली और चेन्नई की यात्रा करेंगे। इस दौरान भारत में चलने वाली बसों को जीरो कार्बन उत्सर्जन करने पर फोकस होगा।
ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के चलते धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ग्लेशियरों के पिघलने का मतलब समुद्र में जल स्तर की वृद्धि होना है। यह सब मानवता के विनाश के कारक हैं।
जलवायु परिवर्तन के खतरों ने पूरी दुनिया को बर्बादी के मुहाने पर ला कर खड़ा कर दिया है। ऐसा शायद ही कोई देश हो जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का दंश न झेल रहा हो। इसके समधान के लिए ब्राजील में शिखर सम्मेलन का प्लान बन रहा है।
सिर्फ युद्ध को लेकर ही नहीं, बल्कि जलवायु संकट का समाधान खोजने के लिए भी दुनिया की निगाह और उम्मीदें भारत पर टिकी हैं। दुनिया को भरोसा है कि भारत का हर फैसला युद्ध और जलवायु संकट से निपटने में निर्णायक है। मगर आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों है...तो आपको बता दें कि अमेरिका जैसे देशों का भरोसा भारत और पीएम मोदी हैं।
भारत ने जापान के सापोरो में जलवायु, ऊर्जा और पर्यावरण के मुद्दे पर जी-7 मंत्रियों की बैठक में रविवार को कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि पर्यावरणीय कार्रवाई के साथ मिलकर समग्र रूप से जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों का समाधान किया जाये। इस दौरान भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पीएम मोदी के मिशन से भी अवगत कराया।
अमेरिका ने पहली बार माना है कि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन की कटौती में G-7 जैसे अमीर देशों की भूमिका अहम हो सकती है। अमेरिका की ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रेनहोम ने ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता जताते हुए शुक्रवार को कहा कि अमीर राष्ट्र कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने में मिसाल कायम करें।
जलवायु परिवर्तन से पैदा हुए पर्यावरण के खतरे के मद्देनजर जी-20 सम्मेलन में भूमि संरक्षण और संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल भारत के लिए दो अहम मुद्दे होंगे। भूमि क्षरण, जैव विविधता की हानि, समुद्री प्रदूषण, मैंग्रोव व कोरल रीफ का संरक्षण, संसाधानों का अति उपयोग और कूड़े के निस्तारण में खामी वे अहम पर्यावरण चिंताएं हैं।
Climate change compensation approved at COP 27:ग्लोबल वार्मिंग के चलते होने वाले जलवायु परिवर्तन पर अब प्रभावित देशों को हर्जाना दिया जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने के जिम्मेदार देश यह हर्जाना मिलकर देंगे।
India @ COP-27: मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ‘शमन कार्य कार्यक्रम’ (मिटिगेशन वर्क प्रोग्राम या एमडब्ल्यूपी) पर चर्चा के दौरान भारत विकासशील देशों के अगुवा के तौर पर अपनी भूमिका निभाई। भारत ने कार्बन उत्सर्जन के लिए विकासशील देशों को जिम्मेदार ठहराने की विकसित देशों की योजना पर पानी फेर दिया।
Climate Change-Virus Spillover: जलवायु परिवर्तन के कारण जो बर्फ पिघल रही है, उससे उसमें जमे वायरस और बैक्टीरिया बाहर निकल सकते हैं। इससे कोरोना वायरस जैसी बीमारी फैल सकती है।
Global Temperature:कीड़े अगर संघर्ष करेंगे तो मानवों का जीवन खतरे में पड़ सकता है। मगर यह कैसे?...आपको सोचकर हैरानी हो रही होगी।
Global Warming: शहरों या प्रकृति के रास्तों पर दोस्तों के साथ साइकिल चलाना ज्यादा से ज्यादा लोगों की पसंद बनता जा रहा है। साइकिल चलाने को गोल्डन एरोबिक व्यायाम के रूप में जाना जाता है।
Floods Crisis in pakistan: पाकिस्तान में बाढ़ का कहर ऐसा टूटा है कि कई देशों द्वारा दी गई अंतरराष्ट्रीय मदद भी अब नाकाफी होने लगी है। इसकी वजह ये है कि अपने लोगों को बचाने के लिए पाकिस्तान सिर्फ दूसरे देशों पर ही निर्भर हो गया है। स्वयं से कुछ भी नहीं कर रहा।
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