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विश्व व्यापार संगठन के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में बातचीत असफल, खाद्य सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं

विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में बातचीत असफल होने से भारत जैसे अन्य विकासशील देशों को निराशा हुई है।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Updated on: December 14, 2017 14:12 IST
WTO Meeting 2017- India TV Paisa
WTO Meeting 2017

ब्यूनस आयर्स। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में बातचीत असफल होने से भारत जैसे अन्य विकासशील देशों को निराशा हुई है। इसकी अहम वजह अमेरिका का सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान ढूंढने की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटना है। चार दिवसीय यह बैठक बिना किसी मंत्रिस्तरीय घोषणा या बिना किसी ठोस परिणाम के ही समाप्त हो गई। बस मत्स्य और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में ही थोड़ी प्रगति हुई है क्योंकि इसके लिए कामकाजी कार्यक्रमों पर सहमति बनी है।

इस संगठन में 164 सदस्य देश शामिल हैं। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इस संगठन की शीर्ष निर्णय इकाई है। भारत द्वारा प्रमुख तौर पर उठाई गई खाद्य सुरक्षा की मांग को लेकर एक साझा स्तर पर पहुंचने से अमेरिका ने मना कर दिया जिससे यह बातचीत असफल रही।

तमाम कोशिशों के बावजूद सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मुद्दे पर सदस्य देश गतिरोध खत्म करने में विफल रहे। इससे विकासशील देशों समेत अन्य कई सदस्य राष्ट्रों को निराशा हुई। बातचीत के विफल होने पर कोई मंत्रिस्तरीय घोषणा नहीं हुई। हालांकि बैठक की अध्यक्षा अर्जेंटीना की मंत्री सुसैना मालकोरा ने अपने बयान में बैठक की प्रगति के बारे में जानकारी दी।

इस मसले पर भारत ने बेहद प्रयास किए लेकिन इस पर सहमति न बन पाना उसके लिए एक बड़ी निराशा है। हालांकि अधिकारियों ने इस बात पर संतोष जताया कि देश ने बातचीत के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में अपने हितों को अक्षुण्ण रखा।

मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का फैसला उसी समय लिख दिया गया जब अमेरिकी व्यापार के सहायक प्रतिनिधि शैरोन बोमर लॉरिस्टेन ने एक छोटी समूह बैठक में कहा कि सार्वजनिक खाद्य भंडारण का स्थायी समाधान अमेरिका को मंजूर नहीं है।

सम्मेलन के अंत में भारत द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि,

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व व्यापार संगठन के मौजूदा लक्ष्यों एवं नियमों पर आधारित कृषि सुधारों को एक सदस्य राष्ट्र के मजबूत विरोध करने से कोई परिणाम बाहर नहीं आ सका और ना ही अगले दो साल के लिए कोई कार्ययोजना कार्यक्रम तैयार हो सका।

इस सम्मेलन के परिणामों से रुष्ट विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक रॉबर्टों एजवेडो ने भी बातचीत की प्रगति को लेकर अपनी निराशा जाहिर की और सदस्य राष्ट्रों से अंतरात्मा का अवलोकन करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय वार्ता में ‘आप को वह नहीं मिलता जो आप चाहते हैं, आपको वह मिलता है जो संभव है।’’

बातचीत विफल होने की बात स्वीकार करते हुए सुसैना ने कहा, ‘‘हम कई बार विभिन्न मुद्दों पर चूक जाते हैं, लेकिन जीवन ब्यूनस आयर्स (इस बैठक) से आगे भी है। हमें इस गतिरोध को खत्म करने के रास्ते खोजने और आगे बढ़ने की जरुरत है।’’

इस बैठक में भारतीय दल का नेतृत्व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने किया। G33 समूह के सहयोग से उन्होंने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर स्थायी समाधान के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखी। यह मामला दुनियाभर के 80 करोड़ लोगों की जीविका का अहम मुद्दा है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुसार विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों का खाद्य सब्सिडी बिल उनके द्वारा उत्पादित कुल खाद्यान्न के मूल्य के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। खाद्य उत्पादन का यह मूल्य निर्धारण 1986-88 की दरों पर तय होता है।

भारत इस मूल्य निर्धारण की गणना के फार्मूला में संशोधन की मांग कर रहा है ताकि सब्सिडी की इस सीमा की गणना संशोधित हो सके।

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