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15 दिन की वैध अवधि के साथ जल्‍द जारी होंगे चुनावी बांड के दिशा-निर्देश, हर पार्टी का होगा एक निर्धारित खाता

सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनावी बांड की वैध अवधि को 15 दिन रखा जा सकता है। कम अवधि के लिए जारी करने से बांड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।

Abhishek Shrivastava Edited by: Abhishek Shrivastava
Updated on: December 12, 2017 14:06 IST
electoral bonds- India TV Paisa
electoral bonds

नई दिल्‍ली। राजनीतिक दलों को चंदा देने की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनावी बांड की वैध अवधि को 15 दिन रखा जा सकता है। कम अवधि के लिए जारी करने से बांड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चुनावी बांड के लिए दिशा-निर्देश करीब-करीब तैयार कर लिए गए हैं। वित्त मंत्रालय इन्हें देख रहा है और अंतिम रूप दे रहा है। 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी बांड की घोषणा वर्ष 2017-18 के बजट में की है। सूत्रों के अनुसार चुनावी बांड एक प्रकार के धारक बांड होंगे। जिस किसी के भी पास ये बांड होंगे वह इन्हें एक निर्धारित खाते में जमा कराने के बाद भुना सकता है। हालांकि यह काम तय अवधि के भीतर करना होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि हर राजनीतिक दल का एक अधिसूचित बैंक खाता होगा। उस राजनीतिक दल को जो भी बांड मिलेंगे उन्‍हें केवल अधिसूचित खाते में जमा कराया जा सकेगा। यह एक प्रकार की दस्तावेजी मुद्रा होगी और उसे 15 दिन के भीतर भुनाना होगा अन्यथा इसकी वैधता समाप्त हो जाएगी।  

अधिकारी ने कहा कि बांड को कम अवधि के लिए वैध रखे जाने के पीछे उद्देश्य इसके दुरुपयोग को रोकना है साथ ही राजनीतिक दलों को वित्त उपलब्ध कराने में कालेधन के उपयोग पर अंकुश रखना है। अधिकारी ने कहा कि चुनावी बांड के लिए नियमों को जल्द ही जारी कर दिया जाएगा और इस तरह के बांड से जुड़ी कुछ अन्य जानकारी इस काम के लिए प्राधिकृत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा जारी की जाएगी।

चुनावी बांड एक प्रकार के प्रॉमिसरी नोट यानी वचनपत्र होंगे और इन पर किसी तरह का ब्याज नहीं दिया जाएगा। चुनावी बांड में राजनीतिक दल को दान देने वाले के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी। ये बांड 1,000 और 5,000 रुपए मूल्य के होंगे। वित्त मंत्री ने बजट में चुनावी बांड की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत में राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया को साफ सुथरा बनाने की आवश्यकता है।

चंदा देने वाले राजनीतिक दलों को चेक के जरिये अथवा अन्य पारदर्शी तरीकों से दान देने से कतराते हैं क्योंकि वह अपनी पहचान नहीं बताना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि किसी एक राजनीतिक दल को चंदा देने पर उनकी पहचान सार्वजनिक होने का अंजाम उन्हें भुगतना पड़ सकता है। वित्त मंत्री ने तब कहा था कि सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श कर वह चुनावी बांड के लिए नियम तैयार करेंगे। 

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