Friday, April 26, 2024
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इतने साल बाद चंद्रमा बदलता है अपना रुप, जानिए ऐसी ही और बातें

हालांकि इस बदलाव की गति अब तक सोची गई गति से सौ गुना ज्यादा तेज है। यह पूरा अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया जिसके अनुसार गड्ढों की संख्या और वापस आने वाले नमूनों की रेडियोमीट्रिक उम्र से चंद्रमा पर मौजूद चीजों और सौरमंडल की अन्य चीजों की आयु

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 14, 2016 17:50 IST
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नई दिल्ली: 15 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा चंद्रमा के बदलाव के कारण मनाई जाती है। इस दिन माना जाता है कि ऋतु बदल रही है। सर्दियों का मौसम आ गया है। क्या आप चंद्रमा के बारें में ज्यादा जानते है। आज हम अपनी खबर में मामा कहे जाने वाले चंद्रमा के बारें में बताते है।

हाल में ही नासा ने एक शोध किया जिसमें ये हाल सामने आई कि चंद्रमा 81 हजार साल बाद अपना रुप बदल लेता है। इसका मुख्य कारण धूमकेतुओं और क्षुद्र ग्रहों की बमबारी से उसकी सतह पर होने वाले परिवर्तनों के कारण होता है।

हालांकि इस बदलाव की गति अब तक सोची गई गति से सौ गुना ज्यादा तेज है। यह पूरा अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया जिसके अनुसार गड्ढों की संख्या और वापस आने वाले नमूनों की रेडियोमीट्रिक उम्र से चंद्रमा पर मौजूद चीजों और सौरमंडल की अन्य चीजों की आयु के आकलन में मदद मिलती है।

यह आकंड़ा नासा के अंतरिक्ष यान लूनर से प्राप्त  किया गया है। इस बारें में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहना है कि धूमकेतुओं, क्षुद्रग्रहों और इनसे जुड़े अंश चंद्रमा की सतह पर कुछ बनाते हैं और कुछ हटाते हैं। जिसे कारण इनमें बदलाव आता है और इनसे बने गड्ढों का मूल इस्तेमाल भौगोलिक इकाइयों की उम्र का पता लगाने में किया जाता है।

प्रत्येक साल बन रहे 30 फीट के 180 नए गड्ढे

शोधकर्ताओं के अनुसार धूमकेतू और क्षुद्र ग्रहों की कारण हर साल से हर साल 33 फीट के लगभग 180 नए गड्ढे बन रहे हैं। इस बारें में अमेरिका की एरीजोना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इमर्सन स्पेयरे ने बताया कि लुनर द्वारा 2009 से जारी की गई तस्वीरों का लगातार हम अध्ययन कर रहे है। यह सभी तस्वीरे चंद्रमा के एक ही भाग से ली गई थीं।

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