Saturday, April 20, 2024
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पहले कुछ इस तरह हॉस्पिटलों और दूर इलाकों तक पहुंचाया जाता था टीकाकरण का वैक्सीन

टीकाकरण गर्भवती महिला से लेकर जन्म लेने वाले शिशु को न केवल कई बीमारियों का सुरक्षा कवच देता है, बल्कि परिवार की खुशहाली में मददगार भी होता है।

India TV Lifestyle Desk Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 17, 2017 12:59 IST
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हेल्थ डेस्क: टीकाकरण गर्भवती महिला से लेकर जन्म लेने वाले शिशु को न केवल कई बीमारियों का सुरक्षा कवच देता है, बल्कि परिवार की खुशहाली में मददगार भी होता है। वर्तमान में जब भी टीकाकरण अभियान चलता है, हर तरफ वैक्सिन कैरियर (प्लास्टिक का बड़ा डिब्बा) लिए स्वास्थ्य कर्मी नजर आ जाते है, बहुत कम लोगों को पता होगा कि कभी टीके का वैक्सीन पानी वाले मटकों में दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाया जाता था। 

विज्ञान और तकनीक के विकास ने हर क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। इससे स्वास्थ्य जगत भी अछूता नहीं रहा है। तरह-तरह की बीमारियों के साथ उनके उपचार के तरीके और दवाओं की खोज की गई है। उन्हीं में से एक है टीकाकरण। टीकाकरण से जहां कुपोषण और मातृ एवं बाल मृत्युदर में कमी आती है। साथ ही डिप्थीरिया, टीबी, काली-खांसी, टिटनेस, हैपेटाइटिस, पोलियो, चेचक,दिमागी बुखार से बचाया जा सकता है।

प्रदेश टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला ने आईएएनएस को बताया कि दो वर्ष तक की आयु के बच्चों के संपूर्ण टीकाकरण के लिए 'सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान' के तहत चार चरण में अभियान चल रहा है। वर्तमान में तीसरा चरण जारी है।

टीकाकरण में किसी तरह की लापरवाही न हो और वैक्सीन का भंडारण पर्याप्त रहे इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग होने लगा है। भोपाल या प्रदेश के किसी भी हिस्से से टीकाकरण की स्थिति और वैक्सीन के भंडारण का पता रहता है। वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए भोपाल से विकासखंड तक पूरी कोल्ड चेन है।

शुक्ला से जब टीकाकरण के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने का सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद आधा घंटे तक बच्चे और उसकी मां को मौके पर ही रोका जाता है, बुखार आना अच्छा संकेत है, उसे पैरासिटामोल दी जाती है। इसके अलावा एएनएम के पास अन्य दवाएं भी होती है। टीकाकरण पूरी तरह सुरक्षित है। 

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