Friday, April 26, 2024
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पेन-किलर दवाओं से कम हो जाती हैं हमारी संवेदनाएं

सिरदर्द, मांसपेशियों की अकड़न, अर्थराइटिस, पीठ दर्द, ठंड और बुखार में ली जानेवाली दर्द निवारक दवाओं से हमारी संवेदना कम होने लगती है।

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 23, 2016 22:57 IST
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न्यूयॉर्क: सिरदर्द, मांसपेशियों की अकड़न, अर्थराइटिस, पीठ दर्द, ठंड और बुखार में ली जानेवाली दर्द निवारक दवाओं से हमारी संवेदना कम होने लगती है। इसका असर न सिर्फ शारीरिक रूप से होता है, बल्कि सामाजिक रूप से भी इसका असर दिखता है। एक नए शोध से यह जानकारी मिली है। शोधकर्ताओं में से एक ओहियो स्टेट युनिवर्सिटी के डोमिनिक मिसचोकोवस्की ने कह, "एसेटेमिनोफेन एक दर्दनिवारक के रूप में काम करता है, साथ ही यह संवेदना को भी घटा देता है।"

इस शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि जिन प्रतिभागियों ने एसेटेमिनोफेन युक्त दर्दनिवारक ताईनेलोन लिया था, उन्हें जब दूसरों के दुर्भाग्य के बारे में जानकारी दी गई तो उन्होंने, जिन्हें दर्दनिवारक दवा नहीं दी गई, के मुकाबले उनके दुख-दर्द के बारे में कम परवाह की और ऐसा सोचा कि इनसे उन्हें कम दर्द हुआ होगा। यह शोध सोशल कॉग्निटिव एंड एफेक्टिव न्यूरोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

मिसचोकोवस्की आगे कहते हैं, "हमारे निष्कर्षो से पता चला है कि जब आप दर्दनिवारक दवा लेते हैं तो आपको दूसरों के दुख दर्द की परवाह नहीं होती है।" मिसचोकोवस्की बताते हैं, "संवेदना बेहद महत्वपूर्ण है। अगर आपकी अपने जीवनसाथी के साथ किसी बात पर बहस होती है और आप ठीक उसके बाद एसेटेमिनोफेन ले लेते हैं, तो हमारे शोध से पता चलता है कि आपने अपने जीवनसाथी भी भावनाओं को क्या चोट पहुंचाई है, इसकी आपको खबर होने की संभावना कम है।" पिछले शोधों से यह जानकारी भी मिली है कि एसेटेमिनोफेन हमारे सकारात्मक भावनाओं को भी बाधित करता है जैसे हर्ष या उल्लास आदि।

इस शोध के दौरान कॉलेज के 80 विद्यार्थियों के साथ प्रयोग किया गया। उनमें से आधे विद्यार्थियों को पानी पीने को दिया गया, जिसमें 1,000 मिलीग्राम एसेटेमिनोफेन डाला गया था। जबकि विद्यार्थियों के आधे समूह को प्लेसबो (झूठ-मूठ की दवा) दी गई, जिसमें किसी दवा की मिलावट नहीं थी। उन विद्यार्थियों को यह पता नहीं था कि वे किस समूह में हैं। एक घंटे के इंतजार के बाद जब उन पर दवाइयों का असर होने लगा, तो उन्हें आठ छोटी कहानियां सुनाई गई, जिसमें कोई न कोई दुख-दर्द से बेहाल था। जिन प्रतिभागियों ने एसेटेमिनोफेन लिया था, उन्होंने कहानी के पात्रों के दुख दर्द को काफी कम रेटिंग दी। जबकि जिन लोगों को प्लेसबो दी गई थी, उन्होंने दुख दर्द को ज्यादा रेटिंग दी।

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