Saturday, April 27, 2024
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मलेरिया संक्रमण फैलने का मुख्य कारण परजीवियों की संख्या है न कि मच्छरों की संख्या

मलेरिया का संक्रमण मच्छरों द्वारा व्यक्ति को काटने और इस दौरान उसके द्वारा मानव रक्त में सूक्ष्म परजीवियों को छोड़ने से होता है। ये परजीवी मच्छरों की लार ग्रंथि में रहते हैं।

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: January 14, 2017 13:16 IST
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हेल्थ डेस्क: मलेरिया संक्रमण को लेकर वैज्ञानिकों ने एक बेहद अहम खुलासे में कहा कि किसी भी व्यक्ति को मलेरिया संक्रमण का खतरा उसे काटने वाले मच्छरों की संख्या पर नहीं, बल्कि प्रत्येक मच्छर में मौजूद परजीवियों की संख्या पर निर्भर करता है। एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है।

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दरअसल, मलेरिया का संक्रमण मच्छरों द्वारा व्यक्ति को काटने और इस दौरान उसके द्वारा मानव रक्त में सूक्ष्म परजीवियों को छोड़ने से होता है। ये परजीवी मच्छरों की लार ग्रंथि में रहते हैं।

इसके बाद परजीवी व्यक्ति के लीवर में पहुंच जाता है, जहां वे बढ़ते हैं और 8-30 दिनों तक अपनी संख्या में इजाफा करते हैं, जिसके बाद वे रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाते हैं और तब मलेरिया का लक्षण सामने आता है।

लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं के मुताबिक, मलेरिया के लिए एकमात्र टीका आरटीएस, एस तब बहुत कम प्रभावी हो जाता है, जब चूहे या मानव को एक ऐसा मच्छर काटता है, जिसके लार में परजीवियों की संख्या बेहद अधिक होती है।

यह शोध इस बात का भी जवाब है कि क्यों मात्र 50 फीसदी मामलों में ही मलेरिया का टीका प्रभावी होता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि यह टीका एक निश्चित अनुपात में ही परजीवियों को मार पाता है और जब परजीवियों की संख्या बेहद ज्यादा होती है, तो यह प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाता।

इंपीरियल कॉलेज के एंड्र्यू ब्लागबोरो ने कहा, "अध्ययन ने इस बात को दर्शाया है कि मलेरिया की सफल रोकथाम में वैज्ञानिक इसलिए असफल रहे हैं, क्योंकि उन्होंने केवल उस आवधारणा को माना कि यह संक्रमण ज्यादा से ज्यादा मच्छरों के काटने से होता है।"

ब्लागबोरो ने कहा कि शोध का निष्कर्ष बेहद महत्वपूर्ण है और मलेरिया तथा वाहकों के माध्यम से होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए टीके का विकास करते समय इस निष्कर्ष को ध्यान में रखना चाहिए।

यह शोध पत्रिका 'पीएलओएस' में प्रकाशित हुआ है।

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