Friday, April 19, 2024
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सावधान! चुइंग गम खाना हो सकता है खतरनाक, जानिए कैसे

चुइंग गम से लेकर ब्रेड तक में डाले जाने वाले संरक्षक पदार्थो से छोटी आंत की कोशिकाओं के पोषक पदार्थो के शोषित करने की क्षमता और रोगाणुओं को रोकने की क्षमता में कमी आ सकती है। शोध के मुताबिक, टाइटेनियम डाईऑक्साइड यौगिक का अंतर्ग्रहण करीब टाला नहीं...

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 21, 2017 10:37 IST
 Chewing gum- India TV Hindi
Chewing gum

हेल्थ डेस्क: आज के समय में हर कोई चुइंग गम खाता है। चाहे फिर वह अपने मूड को सही करने के लिए हो या फिर बोरियत को कम करने के लिए हो। कई लोग ऐसे भी होते है कि नींद आने पर इसका इस्तेमाल कर अपनी नींद को भगाते है। कई बार ऐसा होता है कि हम ऐसी चीजों का सेवन करते है। जिसके बारें में हमें ज्यादा पता नहीं होता है कि इससे हमारी सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन चुइंग गम ऐसी चीज है। जिसे खाने से आपको शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह बाक एक शोध में सामने आई। इस शोध के अनुसार चुइंग खाने से आपको पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती है।  

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चुइंग गम से लेकर ब्रेड तक में डाले जाने वाले संरक्षक पदार्थो से छोटी आंत की कोशिकाओं के पोषक पदार्थो के शोषित करने की क्षमता और रोगाणुओं को रोकने की क्षमता में कमी आ सकती है। शोध के मुताबिक, टाइटेनियम डाईऑक्साइड यौगिक का अंतर्ग्रहण करीब टाला नहीं जा सकता। यह हमारे पाचन तंत्र में टूथपेस्ट के जरिए पहुंच सकता है, जिसमें टाइटेनियम डाईऑक्साइड सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऑक्साइड का इस्तेमाल कुछ चॉकलेटों में चिकनाहट लाने के लिए भी किया जाता है।

न्यूयॉर्क के बिंघमटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर ग्रेतचेन महलेर ने कहा, "टाइटेनियम ऑक्साइड एक आम खाद्य संरक्षक है और लोग इसे एक लंबे समय से अधिक मात्रा में खाते आ रहे हैं, चिंता मत कीजिए यह आपको मारेगा नहीं, लेकिन हम इसके दूसरे सूक्ष्म प्रभावों में रुचि रखते हैं और समझते हैं कि लोगों को इस बारे में जानना चाहिए।"

शोधकर्ताओं ने कोशिका कल्चर मॉडल के जरिए छोटी आंत का अध्ययन किया।

चुइंग गम की थोड़ी मात्रा ज्यादा प्रभाव नहीं डालती, लेकिन दीर्घकालिक प्रयोग आंत की कोशिकाओं के अवशोषण के उभारों को कम कर सकती है। इन अवशोषण करने वाले उभारों को माइक्रोविलाई कहते हैं।

माइक्रोविलाई के कम होने से आंत की रोकने की क्षमता कमजोर होगी, उपापचय धीमा होगा और कुछ पोषक पदार्थ, जैसे- आयरन, जिंक और वसा अम्ल का अवशोषण काफी मुश्किल होगा।

इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'नैनोइम्पैक्ट' में किया गया है।

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