हेल्थ डेस्क: इंडिया एक ऐसा देश है जहां पर कहीं-तहीं पर आज भी पीने का पानी नलों, नलकूप और कुएं का ही इस्तामल किया जाता है। माना जाता है कि इससे शुद्ध औक कोई पानी हो ही नहीं सकता है। कहीं-कहीं पर पीतल के नल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आप जानते है कि ये हमारी सेहत के लिए कितना खतरनाक है। इसके नल का पानी पीने से हम कई बीमारियों से ग्रसित हो सकते है। जानिए क्यों?
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भारत में रसोईघरों में आमतौर पर पीतल के नल का प्रयोग किया जाता है, लेकिन पीने के पानी में पीतल के नलों से रिसते सीसे के कारण सेहत संबंधी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसके देखते हुए किचन सिंक ब्रांड 'अनुपम सिंक्स' ने भारत में पहली बार स्टेनलेस स्टील के किचन नल लेकर आई है।
किचन में उपयोग किए जाने वाले चमकदार, सुंदर नल सामान्यत: पीतल के बने होते हैं और मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। पीतल के नल पर कई घंटे या रात भर जमा रहने वाला पाने में पीतल के नल के अंदर स्थित सीसा रिस आता है जिसके कारण पीने के पानी के पहले बहाव में सीसे की मात्रा काफी ज्यादा हो सकती है। पीने के पानी में सीसा काफी जहरीला होता है और इसके कारण मृत्यु या केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, दिमाग और किडनियों को स्थाई क्षति हो सकती है।
अनुपम सिंक्स के निदेशक राजेन्द्र गर्ग कहते हैं, "कीमत और प्रदर्शन की तुलना में पीतल के नलों का गलनांक अपेक्षाकृत कम होता है जिसके कारण इसे ढालना आसान होता है। हालांकि, स्टेनलेस स्टील पीतल से कठोर होती है और उसका गलनांक अधिक होता है, जिसके कारण पीतल की तुलना में इसे ढालना और बनाना कठिन होता है। लेकिन, इसमें सीसा नहीं होता है, जो कि आज के नियामक वातावरण में एक बड़ा फायदा है। इसलिए, हमने भारतीय बाजार में स्टेनलेस स्टील के नल पेश करने का निर्णय लिया।"