Thursday, April 25, 2024
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भोपाल गैस त्रासदी: 33 साल बीत जाने के जख्म हरे, कई महिलाएं नहीं बन पा रही है मां

मध्यप्रदेश की राजधानी में 33 साल पहले हुए गैस हादसे में मिली बीमारी ने कई महिलाओं की कोख को आबाद नहीं होने दिया। कई परिवारों के आंगन में हादसे के बाद कभी किलकारी नहीं गूंजी।

IANS Reported by: IANS
Published on: December 02, 2017 18:54 IST
bhopal gas tragedy- India TV Hindi
bhopal gas tragedy

हेल्थ डेस्क:  मध्यप्रदेश की राजधानी में 33 साल पहले हुए गैस हादसे में मिली बीमारी ने कई महिलाओं की कोख को आबाद नहीं होने दिया। कई परिवारों के आंगन में हादसे के बाद कभी किलकारी नहीं गूंजी।

गैस हादसे के बाद जन्मी तीसरी पीढ़ी भी बीमार और असक्त पैदा हो रही है। इन बच्चों की जिंदगी को संवारने के काम में लगीं रशीदा बी बताती हैं कि उनके परिवार की एक महिला चार बार गर्भवती हुई, मगर मां नहीं बन पाई, क्योंकि उसका गर्भ हर बार गिर गया।

रशीदा बी के मुताबिक, "यूनियन कार्बाइड से रिसी गैस का असर आज भी है। कई महिलाएं ऐसी हैं, जो कभी मां ही नहीं बन पाईं। यह बात कई शोधों से भी जाहिर हो चुकी है। एक महिला के जीवन का सबसे बड़ा दर्द मां न बनना होता है।"

ज्ञात हो कि भोपाल के लिए दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात तबाही बनकर आई थी। इस रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी मिथाईल आइसो सायनाइड (मिक) गैस ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था, वहीं लाखों लोगों को जिंदगी और मौत के बीच झूलने को मजबूर कर दिया था।

3 बच्चे हादसे  में खोने खोने के बाद दोबारा मां नहीं बन पाई राधा

अशोका गार्डन क्षेत्र में रहने वाली राधा बाई के तीन बच्चों को गैस निगल गई थी। तीनों बच्चों की मौत के बाद वह कभी मां नहीं बन पाईं और फिर कभी उनके आंगन में किलकारी नहीं गूंजी।

वह बताती हैं कि जहारीली गैस ने जहां उनके तीन बच्चों को छीन लिया, वहीं उन्हें बीमारियों का बोझ ऊपर से दे दिया। आखों से साफ दिखाई नहीं देता है, पेट की बीमारी उन्हें सुकून से सोने तक नहीं देती है। पेट फूल जाता है, चलते तक नहीं बनता।

यही हाल छोला क्षेत्र में रहने वाली राजिया का है, जो आज तक मां नहीं बन पाई हैं। हादसे के पहले उसकी शादी हुई थी, मगर मां बनने का सुख उसे नसीब नहीं हो पाया।

भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार कहते हैं, "यूनियन कार्बाइड से रिसी गैस ने इंसानी जिस्म को बुरी तरह प्रभावित किया है। हजारों लोग मर गए और लाखों आज भी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। इनमें वे लोग भी हैं, जो बच्चों की किलकारी और खिलखिलाहट सुनने को तरस गए।"

गैस रिसाव से पड़ा प्रजनन क्षमता पर असर
विभिन्न शोधों का हवाला देते हुए भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा कहती हैं कि मिक गैस ने महिला और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता पर व्यापक असर किया है। महिलाएं मां नहीं बन पाई हैं, इसलिए बात सामने आई है।

गैस हादसे के बाद का सबसे बड़ा दु:ख और दर्द उन लोगों का है, जिनके घरों में बच्चे तो जन्मे, मगर उनका हाल आम बच्चों जैसा नहीं है। वे कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हैं। कोई बैठ नहीं पाता, तो कोई बोल और सुन नहीं पाता। वहीं कई महिलाएं ऐसी हैं, जो किलकारी को नहीं सुन पाई हैं।

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