Tuesday, April 23, 2024
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सावधान! देश में लगातार बढ़ रहे है थायरॉइड के मरीज

एसआरएल का यह विश्लेषण साल 2014-16 की अवधि के दौरान देश भर में 33 लाख से ज्यादा वयस्कों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें थायरॉइड पैनल के तीनों मार्कर्स- टीएसएच, टी4 और टी3 के आधार पर विश्लेषण किया गया, जिसमें से 68 फीसदी रिपोर्ट्स सामान्य पाई

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Published on: May 25, 2017 8:08 IST
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हेल्थ डेस्क:  देश में थायरॉइड से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। प्रमुख डायग्नोस्टिक चेन एसआरएल ने हाल ही में अपने डेटा विश्लेषण के आधार पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया है कि 32 फीसदी भारतीय आबादी थायरॉइड से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बीमारियों की शिकार है। एसआरएल का यह विश्लेषण साल 2014-16 की अवधि के दौरान देश भर में 33 लाख से ज्यादा वयस्कों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें थायरॉइड पैनल के तीनों मार्कर्स- टीएसएच, टी4 और टी3 के आधार पर विश्लेषण किया गया, जिसमें से 68 फीसदी रिपोर्ट्स सामान्य पाई गई। (धमनियों के रोगों से करना है बचाव, तो रोजाना करें फल और सब्जियों का सेवन)

रिपोर्ट के अनुसार, देश के पूर्वी जोन में हाइपोथायरॉइडिज्म का मंद रूप सबक्लिनिकल हाइपोथॉयराइडिज्म अधिक प्रचलित है। वहीं, उत्तरी भारत में हाइपोथायरॉइडिज्म के अधिकतम मामले दर्ज किए गए, जबकि दक्षिणी और पश्चिमी जोन में हाइपरथायरॉइडिज्म एवं इसके विभिन्न प्रकार अधिक संख्या में पाए गए।

इस मौके पर एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के प्रेसिडेंट टेक्नोलॉजी एवं मेंटर (क्लिनिकल पैथोलॉजी) डॉ.अविनाश फड़के ने बताया, "आंकड़े दर्शाते हैं कि थॉयरॉइड से जुड़े किस तरह के विकार देश भर के लोगों में मौजूद हैं। सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म देश में थॉयराइड का सबसे आम विकार है, जिसका निदान बिना चिकित्सकीय जांच के संभव ही नहीं है।

एसआरएल में हमने पाया है प्रिवेंटिव हेल्थ चेक के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और इन्हीं परीक्षणों में यह तथ्य सामने आया कि बहुत से सामान्य एवं स्वस्थ दिखने वाले लोग सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित हैं। असामान्यताओं के ये आंकड़े अपने उच्चतम स्तर पर हो सकते हैं, क्योंकि पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं की राष्ट्रीय डायग्नोस्टिक चेन होने के नाते एसआरएल हाइपो एवं हाइपर थायरॉइड के मरीजों को विस्तार से पूरी जानकारी देता है। इस प्रकार रोग की शुरुआत में ही मरीजों को जागरूक बनाता है।"

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