श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में रविवार को हुई मुठभेड़ में 3 आतंकियों को मार गिराया गया. इस दौरान ऑपरेशन में एक नागरिक की भी मौत हो गई. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद के अनुसार मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे. इसके पहले 5 दिसंबर को दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तैयबा के 3 आतंकियों को मार गिराया जिनमें 2 पाकिस्तान के नागरिक थे. तीनों आतंकियों पर इस साल जुलाई में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले में शामिल होने का शक़ था.
सर्दियों में अमूमन आतंकी आतंकी सुरक्षित पनाहगाहों में लौट जाते हैं लेकिन इस बार इन्हें मार गिराने के लिए सुरक्षा बल ने ऑपरेशन ऑल आउट चलाने की तैयारी की है. आइजी जुल्फिकार ने बताया था कि इस बार ऑपरेशन धीमा होने के बजाय और तेज़ होगा. गुजरात चुनाव खत्म होने के बाद सीआरपीएफ के पास कश्मीर के लिए और जवान अपलब्धा हो जाएंगे.
इस साल सिक्युरिटी फोर्सेस की कार्रवाई में जो 200 आतंकी मारे गए है जिनमें से 40 आतंकी डिस्ट्रिक्ट कमांडर या इससे ऊपर के लेवल के हैं. इनमें से कई आतंकी चार-पांच साल से एक्टिव थे, जबकि आमतौर पर आतंकियों की उम्र हथियार उठाने के दो 2-3 साल बाद खत्म हो जाती है. कश्मीर पुलिस युवाओं के प्रति काफी नर्मी भी बरत रही है.
आईजी श्रीनगर मुनीर ख़ान कहते हैं कि जो नए लड़के आतंक की राह पर गए हैं, अगर उन्होंने कोई गंभीर अपराध नहीं किया है तो उन्हें घर वापसी का पूरा मौका दिया जा रहा है. इनसे कहा गया है कि उन्हें थाने जाने की भी जरूरत नहीं है, वे सीधे अपने घर चले जाएं. इन लड़कों और उनके परिवार से किसी तरह की पूछताछ नहीं की जाएगी.
कश्मीर में तैनात सुरक्षा अधिकारी बताते हैं कि टेरर फंडिंग पर नकेल कसने से पत्थरबाज़ी कम हुई है. दरअसल, एनआईए ने कश्मीर में बड़ी तादाद में ऐसे बैंक खातों की पहचान की, जिनमें लगातार विदेशों से पैसा आता रहता था. ऐसे 40 से ज्यादा खातों को सील किया गया है. यह पैसा कृषि उपज या अन्य सामान के एक्सपोर्ट के बदले में आया दिखाया जाता था. फंडिंग में शामिल ज्यादातर लोग सफेदपोश थे और अपने ओवर ग्राउंड काडर की मदद से पत्थरबाजों को पैसा भेजते थे. अब चूंकि इनमें से ज्यादातर लोग कश्मीर से बाहर की जेलों में भेज दिए गए हैं, इसलिए पैसे की आसान पहुंच रुक गई है.