नयी दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या विवाद को सभी पक्षों के बीच बातचीत के ज़रिए हल करने का प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर का सुझाव 'बेकार और अविवेकपूर्ण' है क्योंकि इस मामले में बातचीत का लंबा इतिहास रहा है और सभी बातचीत विफल साबित हुई है।
ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ अपील पर सुनवाई कर रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को पक्षकारों के बीच बांटने का आदेश दिया था।
माकपा ने एक बयान में कहा, "खुद ही यह करने के बजाए, प्रधान न्यायाधीश ने पक्षों को अदालत से बाहर मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा।" बयान में कहा गया है, "बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हालात बदल गए हैं और आगे बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि एक पक्ष ने एकतरफा मस्जिद को गिराने के लिए कदम उठाया था।"
बयान में कहा गया, "सर्वोच्च अदालत द्वारा अब बातचीत का सुझाव देना इस बात की अनदेखी करना है कि कैसे कानून तोड़ा गया था और संविधान को रौंदा गया था।"
माकपा ने कहा, "यह भी आपत्तिजनक है कि प्रधान न्यायाधीश ने भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को संबंधित पक्षों से यह परामर्श करने को कहा कि क्या वे बातचीत कर सकते हैं।"
बयान में कहा गया, "पहली बात तो यह कि स्वामी इस मामले में याचिकाकर्ता नहीं हैं। इसके अलावा वह मस्जिद हटाने और उस स्थान पर एक मंदिर बनाने के अधिवक्ता के तौर पर जाने जाते हैं।"
इसमें कहा गया, "न्यायिक प्रक्रिया इस बात से संबंधित है कि बाबरी मस्जिद जहां थी, उस जमीन पर किसका अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का फैसला करना चाहिए और अपनी न्यायिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए।"