मुंबई: शिवसेना ने आज कहा कि संघ मुख्यालय देश में सत्ता का दूसरा केंद्र बन गया है और पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत के अलावा और किसी को उपयुक्त नहीं मानती। (मालेगांव धमाका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी साध्वी प्रज्ञा को जमानत)
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी शिवसेना के सहयोगी भाजपा के साथ संबंध तनाव पूर्ण हैं। शिवसेना भागवत को भारत का अगला राष्ट्रपति बनाने का सुझाव पहले भी दे चुकी है। हालांकि भागवत ने इसे खारिज करते हुए जोर कहा है कि यदि उनके नाम का प्रस्ताव आता भी है तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
शिवसेना ने कहा कि बाबरी मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राष्ट्रपति पद के कुछ मजबूत दावेदारों की महत्वकांक्षाओं की गाड़ी पटरी से उतर गई होगी, इसके साथ पिछले हफ्ते भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की भागवत से मुलाकात के मद्देनजर नए समीकरणों का अनुमान जताया।
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के आला नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, जोशी और उमा भारती के खिलाफ आरोपों को बहाल करने की सीबीआई की याचिका स्वीकार कर ली थी जिसके बाद उनपर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जाएगा।
पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने आज लिखा, आडवाणी और जोशी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी के गठन और उत्थान में उनका बहुत बड़ा योगदान है। इसमें कहा गया, नई पीढ़ी के नेताओं द्वारा भाजपा की कमान संभाल लेने के बाद से हालांकि पार्टी में उनके करने के लिए ज्यादा काम बचा नहीं है लेकिन आगामी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर यह पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं कि अभी उनका कितना महत्व है।