Friday, April 26, 2024
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पलानीस्वामी-पनीरसेल्वम ने किया सरकार गठन का दावा, राजभवन के फैसले का इंतजार

चेन्नई: तमिलनाडु में नए मुख्यमंत्री के शपथग्रहण को लेकर सबकी निगाहें अब राज्यपाल सी विद्यासागर राव पर टिकी हैं। इससे पहले इदापड्डी के पलानीस्वामी और उनके विरोधी ओ पनीरसेल्वम दोनों ने राज्यपाल से मुलाकात कर

Bhasha Bhasha
Published on: February 16, 2017 7:32 IST
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चेन्नई: तमिलनाडु में नए मुख्यमंत्री के शपथग्रहण को लेकर सबकी निगाहें अब राज्यपाल सी विद्यासागर राव पर टिकी हैं। इससे पहले इदापड्डी के पलानीस्वामी और उनके विरोधी ओ पनीरसेल्वम दोनों ने राज्यपाल से मुलाकात कर अपने साथ अन्नाद्रमुक विधायकों का समर्थन होने की बात कही। अन्नाद्रमुक विधायक दल के नेता पलानीस्वामी ने मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने बुधवार शाम फिर राज्यपाल से मुलाकात कर अपने खेमे में पार्टी के 134 में से 124 विधायकों के समर्थन की बात कही। तमिलनाडु विधानसभा में 234 विधायक हैं।

पनीरसेल्वम ने भी कल राज्यपाल से मुलाकात कर बहुमत का दावा किया और बहुमत साबित करने का मौका दिए जाने की मांग की। पनीरसेल्वम के खेमे का दावा है कि अन्नाद्रमुक विधायकों को उनकी मर्जी के खिलाफ चेन्नई के बाहरी इलाके में एक रिसॉर्ट में रखा गया है। पालानीस्वामी के साथ राजभवन पहुंचे मत्स्य पालन मंत्री डी जयाकुमार ने कहा कि उनके पास 124 विधायकों का समर्थन है। राज्यपाल के साथ बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमनें राज्यपाल को पार्टी विधायक दल के नेता पलानीस्वामी का समर्थन कर रहे विधायकों की सूची सौंपी है। राज्यपाल ने कहा कि सूची पर विचार करेंगे और हमें विश्वास है कि लोकतंत्र की रक्षा होगी।

उन्होंने कहा, हमनें राज्यपाल को बताया कि पलानीस्वामी के साथ अधिकतर विधायकों का समर्थन है और इसलिए उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। हालांकि राव की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है जिन्हें सोमवार को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शक्ति परीक्षण के लिए एक सप्ताह के अंदर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी थी। उन्हें अब ये फैसला करना है कि किसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना है या फिर विधानसभा में शक्तिपरीक्षण कराना है।

राज्यपाल ने अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में फैसले के चलते अपना निर्णय लंबित रखा था। कल उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया और शशिकला की दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उनके मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदें समाप्त हो गयीं। इससे पहले तक वह इस पद की दावेदार थीं। कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम को जहां 10 से अधिक सांसदों और कुछ विधायकों का समर्थन मिला वहीं शशिकला पार्टी के 134 में से अधिकतर विधायकों का समर्थन पाने में सफल रहीं। पनीरसेल्वम के पास बहुत अधिक संख्या में विधायकों का समर्थन नहीं है लेकिन वह इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अगर उन्हें कहा जाए तो वह सदन में विश्वास मत हासिल करेंगे। अब देखना यह है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदारों से शक्ति परीक्षण के लिए कहने की एजी की सलाह मानते हैं या पलानीस्वामी को सरकार बनाने का न्योता देते हैं।

शशिकला कल शाम से कर्नाटक की एक जेल में अपनी बची हुई तीन साल 10 महीने और 27 दिन की सजा काटेंगी। उससे पहले उन्होंने टीटीवी दिनकरन और एस वेंकटेश को पार्टी में शामिल किया। उन्हें पांच साल पहले अन्नाद्रमुक प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। शशिकला ने अपने भतीजे और पूर्व राज्यसभा सदस्य दिनाकरन को अन्नाद्रमुक का उप महासचिव नियुक्त किया है। इस कदम को उनके जेल से लौटने तक अपने किसी करीबी को पार्टी की कमान सौंपने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

दिनाकरन की नियुक्ति के बाद अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता वी करप्पासामी पांडियन ने पार्टी के संगठन सचिव पद से इस्तीफा दे दिया। नाराज पांडियन ने जयललिता द्वारा निष्कासित लोगों को फिर से शामिल करने के शशिकला के अधिकार पर सवाल उठाया और कहा कि क्या अन्नाद्रमुक शशिकला की पारिवारिक संपत्ति है। दिनाकरन और वेंकटेशन को पार्टी में फिर से शामिल करते हुए शशिकला ने कहा था कि दोनों ने अपने कृत्यों के लिए खेद जता दिया है।

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