Thursday, April 25, 2024
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ब्रिक्स घोषणा-पत्र में जैश, लश्कर को आतंकी घोषित करने पर नहीं हो पाई सहमति

गोवा: विदेश सचिव अमर सिन्हा ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे 'पाकिस्तान स्थित गुटों को आतंकवादी घोषित करने पर सर्वसम्मति हासिल नहीं हो पाई क्योंकि वह सिर्फ भारत और पाकिस्तान से जुड़ा मामला हो

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: October 17, 2016 11:08 IST
Prime Minister Narendra Modi - India TV Hindi
Prime Minister Narendra Modi

गोवा: विदेश सचिव अमर सिन्हा ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे 'पाकिस्तान स्थित गुटों को आतंकवादी घोषित करने पर सर्वसम्मति हासिल नहीं हो पाई क्योंकि वह सिर्फ भारत और पाकिस्तान से जुड़ा मामला हो जाता लेकिन घोषणापत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित किए जा चुके संगठनों से निपटने की ज़रूरत पर बल दिया गया है। उन्होंने घोषणा-पत्र को संतोषजनक बताता हुए कहा कि इसमें आईएसआईएस, अलकायदा और जुबहात-उल-नुसरा का ज़िक्र किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गोवा में शिखर सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों से स्पष्ट किया था भारत के पड़ोस में आतंकवाद का 'मदरशिप' चल रहा है जो विकास तथा आर्थिक वृद्धि के ब्रिक्स के लक्ष्यों के लिए खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद को पनाह देने वाले भी आतंकवादियों जितना ही बड़ा खतरा हैं, लेकिन इसके बावजूद पांचों सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत गोवा घोषणापत्र में भारत की उन चिंताओं का ज़िक्र नहीं है, जो सत्र के दौरान या प्रारंभिक सत्र के दौरान उठाई गई थीं।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सचिव अमर सिन्हा ने कहा कि घोषणापत्र में 'विचारों पर फोकस' किया गया है। उन्होंने बताया कि घोषणापत्र में आग्रह किया गया है कि आतंकवाद के ठिकानों को खत्म किया जाए, और देशों को व्यापक पहल करनी होगी, जिसमें कट्टरपंथ से निपटना, आतंकियों की भर्ती रोकना तथा आतंकवाद को वित्तपोषण खत्म करना शामिल है, और साथ ही इंटरनेट व सोशल मीडिया पर भी आतंकवाद से टक्कर लेनी होगी।

प्राथमिक सत्र के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 'क्षेत्रीय समस्याओं के राजनैतिक समाधान' तलाशे जाने का आह्वान किया था, जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता की ज़रूरत से जोड़कर देखा जा रहा है।

गोवा घोषणापत्र में 'समग्र रवैया' अपनाने का आह्वान किया गया है, और कहा गया है कि सभी आतंकवादी-विरोधी उपायों को 'अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में रहना चाहिए, और मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।'

उड़ी में सेना के कैम्प पर हुए आतंकवादी हमले तथा सीमापार से आतंकवाद की अन्य घटनाओं को लेकर पाकिस्तान पर अंगुली उठाने के मामले में चीन के दोहरे रवैये की वजह से भारत-चीन संबंधों में भी खटास व्याप्त रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स देशों को चेताया कि आतंकवाद को लेकर चुनिंदा रवैया नुकसान पहुंचा सकता है।

सितंबर में हुए उड़ी हमले के बाद से भारत ने राजनयिक स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में पेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर देने की कोशिशें काफी तेज़ कर दी थीं। अब ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर भी प्रधानमंत्री ने इसी रुख के साथ पहुंच बनाई है।

गोवा में ही बिम्सटेक देशों - बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका तथा थाईलैंड से प्रधानमंत्री ने कहा, 'सभी देश, एक को छोड़कर' शांति, विकास और आर्थिक वृद्धि के मार्ग पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सिर्फ एक देश है, 'जो आतंकवाद के अंधियारे को गले लगाए हुए है।'

प्रधानमंत्री के भाषणों से स्पष्ट है कि भारत के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में आतंकवाद ही सबसे महत्वपूर्ण और केंद्रीय मुद्दा रहेगा, भले ही अधिकारियों का कहना है कि किन्हीं भी दो देशों के बीच बातचीत का एजेंडा सिर्फ इसी एक मुद्दे तक सीमित नहीं रहने वाला है.

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