जम्मू: घाटी में कश्मीर पंडितों के वापस लौटने का विरोध करने वालों पर हमला बोलते हुए जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज सवाल किया कि ‘हमारे लोगों’ की वापसी से किस प्रकार जनसांख्यिकी में बदलाव आ जाएगा।
विधान परिषद में महबूबा ने कहा, ‘वे (अलगाववादी और अन्य विरोधी) कह रहे हैं कि अगर कश्मीरी पंडित वापस लौटे तो इससे जनसांख्यिकी बदल जाएगी। यह किस प्रकार जनसांख्यिकी से जुड़ा बदलाव है?’ उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने हमें पढ़ाया है, हमारे साथ पले-बढ़े हैं और जिनके घरों में हम खाना खाया करते थे और जो हमारी संस्कृति के अविभाज्य अंग हैं, उनके कश्मीर लौटने से किस प्रकार जनसांख्यिकीय बदल जाएगी? मैं इस तर्क को नहीं समझ पा रही हूं।’
सदियों से कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों को 1990 में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के कारण घाटी छोड़नी पड़ी या उन्हें जबरन निकाल दिया गया। पनुन कश्मीर पंडितों का संगठन है।
भारत के विभाजन के तुरंत बाद ही कश्मीर पर पाकिस्तान ने कबाइलियों के साथ मिलकर आक्रमण कर दिया और बेरहमी से कई दिनों तक कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार किए गए, क्योंकि सेना को आदेश देने में बहुत देर कर दी गई थी। इस देरी के कारण जहां पकिस्तान ने कश्मीर के एक तिहाई भू-भाग पर कब्जा कर लिया, वहीं उसने कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम कर उसे पंडित विहीन कर दिया।