नयी दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर ईवीएम से छेड़छाड़ होती तो वह सत्ता में नहीं होते। उनका यह रूख कांग्रेस के रूख के विपरीत है जिसका कहना है कि मशीन से छेड़छाड़ संभव है। उन्होंने यहां कहा, अगर ईवीएम से छेड़छाड़ की गई होती तो मैं यहां नहीं बैठा होता। यहां अकाली होते। पूर्व कानून मंत्री वीरप्पपा मोईली के बाद अमरिंदर सिंह कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेता हैं जो ईवीएम के बचाव में उतरे हैं जबकि कांग्रेस का आरोप है कि मशीन से छेड़छाड़ हुई है। (व्हिस्की टाइम पर मिलिए, भारत-पाक के सभी मसले सुलझ जाएंगे: राम जेठमलानी)
कांग्रेस ने मांग की है कि ईवीएम की जगह पुराने मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाए। पंजाब में विधानसभा की 117 सीटों में से 77 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कर एक दशक से सत्ता में काबिज अकाली-भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाया। कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर आरोप लगा रही है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ हुई जिससे उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा को विधानसभा चुनाव जीतने में सहयोग मिला।
उधर, ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के राजनीतिक हमलों के बीच एक बार फिर चुनाव आयोग ने दावा किया है कि इस प्रकार के आरोप बेबुनियाद हैं और साफ कहा है कि ईवीएम के साथ कोई टैंपरिंग संभव नहीं है। आयोग ईवीएम के समर्थन में खुलकर सामने आया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर बार-बार सवाल उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग मई के पहले हफ्ते में EVM से छेड़छाड़ साबित करने की चुनौती देगा।
यह चुनौती 10 दिन तक खुली रहेगी। इस दौरान ईवीएम में तीन से चार स्तर तक टैंपरिंग करने की खुली चुनौती होगी। यही नहीं चुनाव आयोग ईवीएम मशीन खोलकर भी उसमें छेड़छाड़ करने की चुनौती दे सकता है। चुनाव आयोग का कहना है कि 2009 में भी ईवीएम की स्वामित्वता पर सवाल उठाए जाने के बाद हमने खुला चैलेंज दिया था लेकिन कोई इसे प्रूव नहीं कर सका।
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