नयी दिल्ली: नोटबंदी पर मतविभाजन वाले नियम के तहत चर्चा कराने की मांग पर विपक्षी दलों के अड़ रहने के बीच सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि सत्तापक्ष सहित विपक्षी दलों में से किसी ने भी नोटबंदी के कदम की नीयत पर सवाल नहीं उठाया है, इसलिए इस विषय पर तत्काल चर्चा शुरू की जाए। इस फैसले के बाद जनता की कठिनाइयों को लेकर अगर विपक्षी दल कुछ विचार रखते हैं तो उनका निराकरण करने का प्रयास किया जाएगा।
नोटबंदी के मुद्दे पर मतविभाजन के प्रावधान के साथ चर्चा शुरू कराने की विपक्ष की मांग के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सदन में कहा, इस बात के लिए पूरे विपक्ष का आभार है कि नोटबंदी के फैसले को लेकर सरकार की नीयत पर किसी ने भी संदेह प्रकट नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के क्रियान्वयन को लेकर कुछ आपत्तियां हैं और विपक्ष के अनुसार इसका क्रियान्वयन सही नहीं है। सिंह ने कहा कि जहां तक सत्तापक्ष की बात है तो हम तत्काल बहस के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, हम जानना चाहते हैं कि क्रियान्वयन को लेकर कहां कहां कठिनाइयां रहीं। विपक्ष जिन कठिनाइयों से संसद को अवगत कराएगा। उनका निराकरण करने का हम प्रयास करेंगे।
गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशहित में, राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए और कालेधन, आतंकवाद, माओवाद तथा उग्रवाद एवं जाली मुद्रा को रोकने के लिए यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा, चर्चा पर नियम को लेकर भी पूरा विपक्ष बंटा हुआ है। एकमत नहीं है। टीआरएस के जितेंद्र रेड्डी ने भी कहा कि चर्चा नियम 193 के तहत शुरू कराई जानी चाहिए। सिंह ने कहा कि इसलिए मैं विपक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि नियम का निर्णय अध्यक्ष पर छोड़ा जाए और वह जिस भी नियम के तहत चर्चा शुरू कराएं, उस पर तत्काल चर्चा शुरू की जाए।
इस बीच सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार के बयान से यह गलत संदेश नहीं जाना चाहिए कि हम चर्चा नहीं चाहते। हम मतविभाजन के नियम के तहत बहस शुरू करने को तैयार हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि मैं बिना नियम के चर्चा की अनुमति दे सकती हूं। आप सभी अभी चर्चा शुरू कर लें।
नोटबंदी पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण कार्यवाही भोजनावकाश से करीब पांच मिनट पहले दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
इससे पहले कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी बात दोहराई कि विपक्ष ने नियम 184 के तहत चर्चा का तरीका निकाला है जिस पर चर्चा शुरू कराई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले के बाद कितना नुकसान हुआ और कितना फायदा हुआ, इस बारे में चर्चा के बाद वोटिंग कराई जानी चाहिए।
खड़गे ने मतविभाजन पर सरकार के तैयार नहीं होने पर निशाना साधते हुए कहा, वोटिंग कराने से पहाड़ नहीं गिर जाएगा। वे मतविभाजन से क्यों भाग रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि सत्तापक्ष इतने अधिक बहुमत में हैं कि तत्काल नियम 184 के तहत बहस शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आसन नियम 184 के तहत चर्चा शुरू कराने की कांगे्रस नेता खड़गे की मांग स्वीकार करता है तो वह अपना कार्यस्थगन का नोटिस वापस लेने को तैयार हैं।
राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने भी यही मांग की।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के ए पी जितेंद्र रेड्डी ने कहा कि सभी 17 विपक्षी दल सरकार के नोटबंदी के फैसले के समर्थन में हैं लेकिन वे क्रियान्वयन की समस्याओं को उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने नियम 193 के तहत चर्चा के लिए नोटिस दिया है। देश में मौजूदा हालात को देखते हुए तुंरत चर्चा जरूरी है और अध्यक्ष किसी भी नियम में चाहें, चर्चा शुरू कराएं।
समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने आरोप लगाया कि इस फैसले से पहले किसी दल को विश्वास में नहीं लिया गया और देश के एक दो शीर्ष उद्योगपतियों की राय पर यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी जनता का दुख दर्द कहना चाहते हैं। गंभीर विषय है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, पूरा सदन चर्चा चाहता है। सभी लोग आम जनता के सुख दुख की बात करना चाहते हैं। मैं भी चाहती हूं। मैं भी आम जनता के बीच से ही इस कुर्सी पर आकर बैठी हूं। उन्होंने कहा कि मेरा एक ही आग्रह है कि सभी लोग नियम की लड़ाई छोड़ें। मैं बिना किसी नियम के अभी चर्चा शुरू कराने की अनुमति दे सकती हूं।
चर्चा के बाद मतविभाजन की कांगे्रस, तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की मांग पर अध्यक्ष ने कहा कि वोट का प्रश्न जब आएगा तब देखेंगे। अभी चर्चा शुरू करें। अब निर्णय आपके उपर है। गृह मंत्री ने भी कहा कि जैसा अध्यक्ष ने कहा है कि बिना किसी नियम के चर्चा शुरू की जा सकती है। सरकार इसके लिए तैयार है। हालांकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दल चर्चा के बाद मतविभाजन कराने की मांग पर अड़े रहे। वे नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गये।
इस दौरान भाजपा के रमेश बिधूड़ी और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी समेत दूसरे सदस्यों के बीच नोंकझोंक भी देखी गयी। हंगामे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, आप चर्चा नहीं चाहते हैं। इस बीच उन्होंने शून्यकाल शुरू कराया और कई सदस्यों ने अपने क्षेत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण विषय शोर-शराबे के बीच ही उठाए।
हंगामा जारी रहने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही भोजनावकाश से करीब पांच मिनट पहले अपरान दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
अध्यक्ष ने इससे पहले आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए जिसमें अंग्रेजी और हिंदी की कार्यसूची में क्रम संख्या 13 पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी, विग्यान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान की परिषद के दो सदस्यों के निर्वाचन से संबंधित प्रस्ताव के लिए अलग अलग मंत्रियों के नाम लिखे होने के संदर्भ में भाजपा के मुरली मनोहर जोशी ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की कार्यसूची में क्रमसंख्या 13 पर मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का नाम है वहीं हिंदी की कार्यसूची में इस क्रम पर निर्मला सीतारमण का नाम है।
जोशी ने कहा कि क्या ऐसी कोई व्यवस्था बन गयी है कि हिंदी और अंग्रेजी में अलग अलग मंत्री प्रस्ताव रखेंगे। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि वह इस विषय को देख लेंगी।