Saturday, April 20, 2024
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क्रिकेट से बातचीत का बेहतर माहौल बन सकता है: अब्दुल बासित

भारत स्थित पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित का कहना है कि दोनों देशों के बीच शांति और समृद्धि के लिए कश्मीर पर वार्ता होनी चाहिए और दोनों के बीच क्रिकेट खेला जाना चाहिये।

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: June 22, 2017 9:47 IST
Abdul Basit- India TV Hindi
Abdul Basit

नयी दिल्ली: भारत स्थित पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित का कहना है कि दोनों देशों के बीच शांति और समृद्धि के लिए कश्मीर पर वार्ता होनी चाहिए और दोनों के बीच क्रिकेट खेला जाना चाहिये। 

बासित ने एक अंग्रेज़ी दैनिक के साथ बातचीत में कहा, “मुझे लगता है कि हमें क्रिकेट और अन्य खेल भी खेलने चाहिये...समस्या हल होने तक खेल संबंधों को मुल्तवी रखना अक़्लमंदी नही होगी। खेल से बेहतर माहौल बनता है जिसकी हमें ज़रुरत है।”

बासित ने मोदी सरकार के सत्ता में आने के कुछ महीने पहले ही यहां कार्यभार संभाला था। इन तीन सालों में काफी कुछ हुआ जिसकी वजह से दोनों देशों के संबंध ख़राब हुए। बासित ने हुर्रियत नेताओं को बुलाया था जिसके बाद 2014 में विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद्द हो गई थी। 

 शर्तों के साथ बातचीत नहीं 

बासित का कहना है कि दिसंबर 2015 में व्यापक वार्ता की रुपरेखा बनाने के लिए दोनों पक्षों के बीच समझोता होना आशा की किरण है लेकिन साथ ही ये भी कहा कि शर्तों के साथ बातचीत नहीं हो सकती। बहरहाल, न्होंने निकट भविष्य में वार्ता शुरु होने की आशा व्यक्त की।

दरवाज़ा बंद करके चाबी बाहर नहीं फ़ेंक सकते

बासित ने तमाम संभावनाओं के दरवाज़े खुले रखने की वकालत करते हुए कहा, “हमें बहुत उम्मीदें थीं क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री ने मई 2014 में भारत जाने का बोल्ड फ़ैसला किया था लेकिन उसके बाद बातचीत की प्रक्रिया अटक गई। अब दोनों देश दिसंबर 2015 में व्यापक बातचीत के लिए रुपरेखा बनाने पर राज़ी हो गए हैं जो पिछले तीन सालों में हमारी सबसे बड़ी उपलब्धी है। अब जब भी दोनों पक्ष बातचीत के लिए राज़ी होते हैं, उन्हें बातचीत के रुपरेखा बनाने में समय बरबाद नहीं करना पड़ेगा। आप दरवाज़ा बंद करके चाबी बाहर नहीं फ़ेंक सकते, आपको संभावनाओं के लिए दरवाज़ा खुला रखना होगा। मुझे उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान एक दूसरे से बात करेंगे लेकिन ये बातचीत अब होगी या फिर दो साल बाद, मुझे नहीं मालूम।”

 हुर्रियत नेताओं से बात करना नयी बात नहीं

बासित ने कहा कि हुर्रियत नेताओं से बात करना पाकिस्तान के लिए नयी बात नहीं है हालंकि इस तरह की एक बैठक के बाद भारत ने द्विपक्षीय बातचीत स्थगित कर दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद हुर्रियत नेताओं से बहुत बातचीत हुई थी। “हम हुर्रियत नेताओं से मिलते रहे हैं और कभी भी कोई समस्या नही हुई है। हमारी मुलाकतों को रचनात्मक तरीके से देखा जाना चाहिए क्योंकि इससे हमें कश्मीर की समस्या का हल ढूंढ़ने में मदद मिलती है। पाकिस्तान का मानना है कि हुर्रियत नेता जम्मू-कश्मीर की जनता की आकांशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसीलिए उनसे बातचीत ज़रुरी है।”

दोनों देशों के बीच सहयोग हवा में नही हो सकता

बासित ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि बातचीत और शर्ते दोनों साथ साथ नहीं हो सकती हालंकि भारत का नज़रिया अलग है। “आतंकवाद अब पाकिस्तान में और हमारे लिए एक बड़ा मसला बन गया है। कमांड (कुभूषण) जाधव का दोषी पाया जाना हमारी चिंता को सही साबित करता है। हम आतंकवाद जैसे मसलों से भाग नहीं रहे हैं लेकिन जब आप मुंबई या पठानको हमले को देखते हैं तो अगर आप जांच पड़ताल करना चाहते हैं, दोनों देशों को एक दूसरे के साथ सहयोग करना पड़ेगा। ये सहयोग हवा में नही हो सकता। बग़ैर बातचीत के ये मसले कैसे सुलझेंगे?”

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में कहा था कि वार्ता के लिए तीन शर्ते हैं: विवाद बातचीत के ज़रिये सुलझाए जाने चाहिये, बातचीत दोनों पक्षों के बीच होनी चाहिये और आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नही चल सकते। पाकिस्तान को इस पर क्या आपत्ति है?

बासित ने कहा, “जैसा कि मैंने कहा, बातचीत और शर्ते साथ साथ नहीं हो सकती। हमें हमारी समस्याओं को द्विपक्षीय वार्ता के ज़रिये सुलझाने में कोई दिक़्क़त नहीं है और हम इसकी कोशिश भी करते रहे हैं।”

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