लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में गहराते मतभेदों को और हवा देने वाले घटनाक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज अपने चाचा और सपा के प्रान्तीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव द्वारा बुलायी गई पार्टी के जिला पदाधिकारियों की बैठक में शरीक नहीं हुए।
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पार्टी सूत्रों के मुताबिक शिवपाल ने अखिलेश से मुलाकात करके उन्हें सपा के जिला पदाधिकारियों की बैठक में व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया था, लेकिन मुख्यमंत्री के बैठक में शिरकत ना करने से एक बार फिर संकेत मिले हैं कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है। बैठक में शामिल कुछ पदाधिकारियों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि शिवपाल ने चर्चा के दौरान कई बार यह बात समझाने की कोशिश की कि आगामी चुनाव के बाद अखिलेश के दोबारा मुख्यमंत्री बनने से उन्हें कोई तकलीफ नहीं होगी।
इसके अलावा शिवपाल ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव में अखिलेश ही सपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। एक पदाधिकारी ने बताया कि शिवपाल ने सभी जिला पदाधिकारियों को चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह जुट जाने और आगामी पांच नवम्बर को लखनऊ में मनाये जाने वाले सपा के रजत जयन्ती समारोह को सफल बनाने के आदेश दिये।
समाजवादी परिवार में जारी रार को जाहिर करने वाले एक घटनाक्रम में अखिलेश ने पिछले दिनों अपने पिता सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर कहा था कि वह आगामी तीन नवम्बर से अपनी विकास रथयात्रा शुरू करेंगे। ऐसे में उनके पांच नवम्बर को होने वाले सपा के रजत जयन्ती समारोह में शिरकत की सम्भावनाओं को लेकर संदेह पैदा हो गया था।
अखिलेश और शिवपाल के बीच जारी ढकी-छुपी तनातनी को देखते हुए यह आशंका पैदा हो गयी है कि जैसे-जैसे चुनाव प्रचार परवान चढ़ेगा, यह तल्खी नये रंग दिखायेगी। सोशल मीडिया पर अखिलेश द्वारा नेशनल समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाये जाने और चुनाव आयोग से मोटरसाइकिल का चिन मांगे जाने की खबरें लगातार गश्त कर रही हैं।
संगठन कौशल में माहिर माने जाने वाले शिवपाल को पिछले महीने अखिलेश की जगह सपा का प्रान्तीय अध्यक्ष बनाया गया था। अखिलेश चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण का अधिकार उन्हें दिया जाए और वह इससे कम पर समझौता करने को तैयार नहीं है।