कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भोज से कन्नी काटने के बाद अब अटकलों का बाज़ार गर्म है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित भोज में शामिल होंगे या नहीं। हालंकि शुक्रवार की शाम नीतीस कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि वह भोज में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री भारत यात्रा पर आए मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में आज दोपहर के भोज का आयोजन कर रहे हैं।
सोनिया गांधी ने शुक्रवार दोपहर विपक्षी दलों के लिए भोज का आयोजन किया था, जिसमें जदयू का प्रतिनिधित्व शरद यादव और के सी त्यागी ने किया। उस बैठक में नीतीश कुमार की अनुपस्थिति साफ झलक रही थी।
नीतीश कुमार का कहना है कि वह भोज में इसलिये शामिल हो रहे हैं क्योंकि ये मॉरिशस के प्रधानमंत्री के सम्मान में दिया जा रहा है और मॉरिसस से बिहार के सदियों पुराने संबंध हैं।
ग़ौरतलब है कि एक समय नीतीश कुमार ने मोदी के साथ भोजन करने से ये कहकर मना कर दिया था कि उनका (मोदी) गुजरात दंगों में हाथ है। नीतीश ने बिहार में बाढ़ के बाद गुजरात सरकार द्वारा भेजी गई राशि भी लेने से मना कर दििया था।
जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन की अटकलों की ख़बरे आती रही हैं हालांकि नीतीश कुमार इसका बार—बार खंडन भी करते रहे हैं। जदयू ने भाजपा के साथ अपना 17 साल पुराना गठबंधन तब तोड़ लिया था जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।
बीजेपी-जदयू के बीच फिर गठबंधन की अटकलों को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाला के चार मामलों में मुकदमा चलाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और लालू और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार के नए आरोपों के बाद और बल मिला है।
कुमार बिहार में जदयू—राजद—कांग्रेस महागठबंधन सरकार के नेता हैं। मुख्यमंत्री ने राजद प्रमुख और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोपों पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि उनकी जांच केंद्र सरकार को करानी है।
दिल्ली की हालिया यात्रा के दौरान कुमार ने कथित तौर पर भाजपा नीत राजग के खिलाफ व्यापक विपक्षी एकता पर जोर दिया था। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी इस सिलसिले में मुलाकात की थी।
कुमार के करीबी सूत्रों ने अक्सर उनके और भाजपा के संबंधों में बढ़ती नजदीकियों से संबंधित खबरों को खारिज किया है