केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का निधन हो गया है। 61 वर्षीय दवे काफी समय से बीमारी से जूझ रहे थे। एम्स में उनका इलाज चल रहा था। दवे मध्य प्रदेश में बीजेपी का बड़ा चेहरा माने जाते थे।
दवे के सामाजिक सरोकार
छह जुलाई 1956 को मध्य प्रदेश के उज्जैन के बड़नगर में जन्में अनिल माधव दवे ने इंदौर के गुजराती कॉलेज से एमकॉम की पढ़ाई की थी। मध्य प्रदेश नदियों का राज्य है इसलिए नदी और पर्यावरण के प्रति उनका रुझान स्वाभिक थी। यही वजह है कि उन्होंने लंबे समय तक नदी एवं पर्यावरण संरक्षण बचाव के लिए काम किया और इस दौरान नर्मदा नदी बचाव अभियान भी चलाया।
दवे का राजनीतिक सफ़र
दवे 1964 में राष्ट्रीय स्वयंमसेवक संघ से जुड़े गए और उसके बाद 70 के दशक के जेपी आंदोलन में भी शामिल हुए। वह साल 2009 से मध्य प्रदेश से राज्य सभा सांसद रहे। मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के तहत 5 जुलाई 2016 को उन्हें मंत्री बनाया गया। आखिरी बार भोपाल में आयोजित नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण सम्मेलन को संबोधित किया। दवे मार्च 2010 से जून 2010 तक ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज पर पार्लियामेंट फोरम के सदस्य रहे। इसके अलावा संसद की जल संसाधन कमेटी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री से भी जुड़े रहे।
प्रधानमंत्री मोदी दवे को निधन को निजी क्षति बताते हुए कहा कि दोस्त और एक आदर्श साथी के तौर पर अनिल माधव दवे जी की मौत से दुखी हूं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। लोक हित के काम के लिए दवे जी को याद रखा जाएगा. कल शाम ही वे मेरे साथ थे. हमने कुछ पॉलिसी इश्यू पर चर्चा भी की थी. उनका जाना मेरे लिए निजी क्षति है।