नई दिल्ली: नये कानून के तहत महिला कर्मचारियों को अब 12 हफ्ते की बजाए 26 हफ्ते का सवैतनिक अवकाश मिलेगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मातृत्व लाभ (संशोधन) कानून, 2017 को अपनी मंजूरी दे दी। महिला कर्मचारियों के फायदे के लिए 55 वर्ष पुराने कानून के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया गया है।
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नये कानून के तहत 50 या ज्यादा कर्मचारियों वाले हरेक संस्थान के लिए निर्धारित दूरी के भीतर क्रेच की सुविधा होना आवश्यक है। नियोक्ता भी एक महिला को दिन में चार बार क्रेच जाने की अनुमति देने के लिए बाध्य होगा। कानून कहता है कि हरेक प्रतिष्ठान को इसके तहत उपलब्ध हर सुविधा के बारे में हरेक महिला को उसकी शुरूआती नियुक्ति के वक्त लिखित और इलेक्ट्रॉनिक रूप से बताना होगा।
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नियोक्ता महिला को मातृत्व अवकाश पाने के बाद घर से काम करने की इजाजत दे सकता है। इसमें कहा गया है, ऐसी स्थिति में जहां महिला को सौंपी गयी कार्य की प्रकृति उस तरह की हो कि वह घर से काम कर सकती है तो नियोक्ता ऐसी अवधि के लिए मातृत्व लाभ हासिल करने के बाद उसे ऐसा करने की अनुमति दे सकता है और ऐसी स्थिति में नियोक्ता और महिला आपसी तालमेल से राजी हो सकते है।
कानून तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने और मां बनने (जैविक मां जो अपने अंडाणु को दूसरी महिला में प्रतिरोपित कर बच्चा पैदा करती हैं) वाली महिला को 12 हफ्ते मातृत्व छुट्टी की अनुमति देता है।
कानून के तहत 26 हफ्ते की सवैतनिक छुट्टी केवल दो बच्चों के लिए है। दस या ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होने वाला कानून कहता है कि दो या ज्यादा बच्चों वाली महिला 12 हफ्ते के मातृत्व अवकाश की हकदार होगी।