Friday, March 29, 2024
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व्यापमं घोटाला: 592 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, कई रसूखदारों के नाम

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को 592 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र पेश किया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 23, 2017 23:57 IST
vyapam scam- India TV Hindi
vyapam scam

भोपाल: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को 592 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र पेश किया। यह पीएमटी परीक्षा-2012 में हुई गड़बड़ियों से जुड़ा मामला है। इस मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया है, उनमें कई रसूखदार लोग शामिल हैं। हजार करोड़ रुपये के इस घोटाला मामले में शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा व व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी सहित कई भाजपा नेता जेल जा चुके हैं। इसकी जांच के दौरान 48 लोगों की मौत हो चुकी है। मौतों का रहस्य जानने के लिए दिल्ली से गए समाचार चैनल 'आजतक' के खोजी पत्रकार अक्षय सिंह की भी मौत हो गई थी। 

व्हिसिलब्लोअर डॉ. आनंद राय ने आईएएनएस को बताया कि सीबीआई की ओर से गुरुवार को विशेष न्यायाधीश डी.पी. मिश्रा की अदालत में वर्ष 2012 की पीएमटी परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर आरोपपत्र पेश किया। लगभग 1500 पृष्ठों के आरोपपत्र में 592 लोगों को आरोपी बनाया गया है। डॉ. राय के अनुसार, जिन प्रमुख लोगों के नाम इसमें आए हैं, उन्होंने न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की, जिसका उनके अधिवक्ता अंशुमान श्रीवास्तव ने विरोध किया।  सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के आरोपपत्र में 592 लोगों के नाम हैं, इनमें से 245 आरोपियों के समन तामील हो चुके हैं। 

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के आरोपपत्र में यह बात भी सामने आई है कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस में दाखिले के एवज में 80 लाख और स्नात्कोत्तर (पीजी) के लिए एक करोड़ रुपये तक से ज्यादा की रकम ली गई। एक अनुमान के मुताबिक, इस एक वर्ष में हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। 

व्यापमं घोटाले पर गौर करें तो पता चलता है कि इसमें कई बड़े लोग, जिनमें शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ.पी. शुक्ला, भाजपा नेता और कई भाजपा नेताओं के करीबी सुधीर शर्मा, व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, व्यापमं के कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन महेंदा घोटाले का सरगना डॉ. जगदीश सागर जेल जा चुके हैं। इनमें से कई को अब जमानत मिल गई है।  यह मामला 9 जुलाई, 2015 को सीबीआई को सौंपे जाने से पहले इसकी जांच कर रही एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले में कुल 55 मामले दर्ज किए गए थे। 21 सौ आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं। 

एसटीएफ इस मामले के 12 सौ आरोपियों के चालान भी पेश कर चुकी है। इस मामले का जुलाई, 2013 में खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त, 2013 में एसटीएफ को सौंपा गया था। फिर इस मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल, 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी, अब मामला सीबीआई के पास है।

इस घोटाले को विपक्षी कांग्रेस 'महाघोटाला' कहती है और जांच के सिलसिले में जांच अधिकारियों सहित 48 लोगों के शव मिलने के कारण मुख्यमंत्री शिवराज को 'शवराज' की संज्ञा दे चुकी है। विपक्षी पार्टी का कहना है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे भाजपा के लोग देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का सिर्फ झांसा दे रहे हैं। 

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